नहीं बिखरा कभी भी वक्त की इन आँधियों से मैं, मगर क्यूं तोड़ देती हैं तुम्हारी सिसकियाँ मुझको। जु़दाई के समय मैंने कहा था-याद मत करना, ख़बर फिर याद की क्यूं दे रही हैं हिचकियाँ मुझको। दिखाई मैं दिया तुमको वहाँ तक एकटक देखा, बताती हैं तुम्हारे साथ की कुछ […]

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सुनो,आज हिन्दी दिवस है, चलो फिर कुछ गोष्ठियाँ कर डालें। कुछ अपनी जेब में, कुछ उनकी रखने का जुगाड़ कर डालें। कुछ बड़ी-बड़ी बातें तुम कहना, कुछ हम भी चलो कह डालें। गोष्ठियाँ खत्म होते ही, फिर अंग्रेजी शराब औ कबाब, अंग्रेजी फलसफ़ों का पुलिन्दा होगा। कोई नहीं थोड़ा-सा ही, […]

बेटी माँ के कलेजे का टुकड़ा, बार-बार ये सुनती रहती हूँ मैं उसी कलेजे के टुकड़े को तू, मैया काहे को मिटा देती है।       मैं भी तो तेरा ही अंश हूँ माता,       फिर क्यों मैं पराई लगती हूँ।       भैया को कहती […]

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दो नैन जब चार हो जाते हैं, ख्वाबों में अक्सर वो अाते हैंl कुछ भी याद नहीं रहता तब, जब दिल आपस में मिल जाते हैंll  सुबह से जगकर शाम तक वो, एक भी न काम कभी कर पाते हैंl चुपचाप सुनते हैं बातें वो सबकी, न ही किसी को […]

मत लगाओ प्रश्नवाचक चिन्ह मेरे आँसूओं पर, आह में परिणित हुए सपने विसर्जित हो रहे हैंl हाँ सजाए थे कभी हमने भी सपने प्यार के, देख डाले फिर यहाँ सारे नियम संसार के प्रेम से रहने की सबको सब नसीहत दे रहे, किंतु हैं विपरीत मानक प्रेम के अधिकार केl […]

तुम एक प्यार हो, जिसमें भाव है भंगिमा है, राग है,द्वेष है और एक अनजानी-सी पीड़ा भी, पर मेरा दिल स्थिर है क्योंकि मैं अकेला हूँ, तुम जिस पथ पर खड़ी हो आज बचपन में बहुत घूमा हूँ मैं, बहुत खेला हूँ जीवन को बनाओ तो ऐसा कि जीवन बहती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।