चंचल चितवन,खींच रही मन,कैसा चमत्कार है। स्वर्ग अप्सरा से भी बढ़कर,तेरा ये दीदार है॥ घूंघट के भीतर से नैना,सीप मोतियों जैसे। आधा घूंघट मुख के ऊपर,चाँद अमावस तैसे॥ बदली से छुप-छुप के रोशनी,निकले और छुप जाए, होंठ गुलाबी लगे संतरा,जो देखे रह जाए। दुग्ध नहाई कोई चाँदनी,ऐसा तेरा निखार है॥ […]

दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं,कुछ ऐसे कि,जिनके सान्निध्य में भटका हुआ भी पथ पा जाए,कुछ ऐसे कि मंजिल तक पहुँचकर भी इंसान पथ भूल जाए। हमें ऐसे लोगों की पहचान अवश्य करनी चाहिए। मुझे याद आता है-जब मैं पहले ही दिन विश्वविद्यालय गई थी,मैं काफी डरी हुई […]

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देह दीपक बनी प्राण बाती हुए, द्वार पर हे प्रिये तुम सजा लो मुझे। बुझ न जाऊँ कहीं,ग़म के तूफान से, अपने आँचल से ढंक लो छुपा लो मुझे॥ है सुखों का उजाला अभी भाग्य में, बात मुझको बतानी है संसार को… ये मुहब्बत अगर मुझको मिलती रहे, दूर कर […]

ढूँढ रही हूँ खुद को टुकड़ों-किरचों में, ज़िन्दगी टूटकर यूँ बिखरी है। कुछ में घर-आँगन का अक्स है, जिन्हें सजाने में तमाम उम्र गुजार दी। सब हैं पेड़-पौधे,फुलवारी, यहाँ तक मुंडेर पर बैठे परिन्दे भी। दूर-दूर तक के रिश्ते नाते भी, और कर्मों के बही खाते भी। रौनकें भी हैं,तो […]

मन्दिरों में अब रोज जाने लगे हैं, भगवान में विश्वास जताने लगे हैंl  मिल जाओ अगर तुम मस्जिद में, इसलिए अजान सीखकर आने लगे हैंl  सुना है गुरुद्वारे में मत्था टेकती हो तुम, इसलिए गुरूग्रंथ साहिब उठाने लगे हैंl  करती हो प्रार्थना तुम चर्च में रविवार को, इसीलिए हम भी […]

rla sinh कई बार लोग सीरत से अधिक सूरत को महत्व देते हैं,व्यक्तित्व को विशेष रूप से महत्व देते हैं। अगर किसी के पास दोनों न हो तो,उसे धनाढ्य होना चाहिए, अन्यथा लोग इज्ज़त नहीं करते हैं।     ‘अरे लो ये पेपर,इस पर स्टैम्प….अरे ठप्पा लगा लो,ठप्पा-ठप्पा।’ प्रधानाचार्या जी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।