धरा-गगन के बीच पसरता… जो अनंत आकाश, सत्य-संध शायक बेधता है … उसको बन पुंज प्रकाश। पुण्य धरित्री-धरा-धर्म हित, जो प्राणार्पण करते हैं; सकल छद्म,षडयंत्र समर कर, महाप्रलय सम भिड़ते हैं। शूर नहीं,भिक्षुक होते हैं… कभी विजय-जीवन के। वरते स्वयं स्वयं-जय को… निज भुज-बल से वीरों के। सकल मनुजता की […]

बड़ी भीड़ थी वहां, कुछ शोर भी मच रहा था। जो देखा आगे जाकर इंसानियत का अंतिम संस्कार हो रहा था। बड़ा घृणित मंजर था वह, एक महापाप हो रहा था। वहशी बने खड़े थे कुछ लोग, एक मासूम मृत-सा वहीं पड़ा था। उसके हाथों में एक खाने की थैली […]

वफ़ा प्यार सादगी का ताज हैं बेटे, जो सुनते है सबकी वो इंसान है बेटे। रखा है मर्यादा को बरकरार आज तक, राम श्रवण विवेकानंद जैसे महान है बेटे। लगते आए हैं इन पर आरोप हमेशा, कुछ लोगों के लिए अभी अंजान है बेटे। किया कई ने नाम रोशन मां-बाप […]

गीत-सी बजती हो कानों में…। मीत-सी लगती हो दिल को, अप्सरा बन रहती हो अरमानों में।                     गीत-सी बजती…ll   कभी साहिर के गीतों-सी, कभी कश्मीरी प्रीतों-सी नदिया-सी मचलती हो, कभी खलिहानों में…।      गीत-सी बजती…ll    कामिनी बन प्रणय […]

सर्दी-गरमी व वर्षा से,  क्या घबराना,क्या घबराना ? नव अंकुर से नए विहग से,  सीखें शीश उठाना। एक बीज जब घर से बाहर, खेतों में बोया जाता। संगी साथी साथ न होते,  निपट अकेला हो जाता। नमी और गर्मी पाकर के, बीज प्रफुल्लित हो जाता। बीज चोल का तोड़ आवरण, […]

  मजबूरी तो गजब की चीज होती है, बहुतों को रुलाती है ये ऐसी होती है। दिखाई देती तो नहीं किसी को मगर, जग में ये बहुतों में ही दिखाई देती है। बच्चे सड़कों पर भटकने को मजबूर, पेट भरने के लिए कमाना मजबूरी है।  औरतें नाचती-गाती हैं गैरों के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।