धीरे बोलो गुस्सा मत करो, मुस्कराते रहो ये सब तुम सिखा गए। विद्या का ज्ञान संस्कारों का पाठ, सिखाकर डोली में विदा कर गए। बाबुल तुम छोड़कर कहाँ चले गए..॥ त्याग,ममता,स्वाभिमान से जीना सिखा गए , आत्मग्लानि से परे सर उठाकर, जब हम जीना सीख गए, बाबुल तुम फिर भी […]

(विश्व पर्यावरण दिवस पर) प्रकृति के खेल को कौन समझ पाया है, आनन्द तो सभी लेते,रक्षा कौन कर पाता है। उत्तराखंड के प्रहर ने कितनों को रुलाया है, पहाड़,जंगल काटकर रास्ता सभी ने बनाया है। बंद करो प्रकृति की सुंदरता को मिटाना, मिलकर सभी को यही कसम है खाना। प्रकृति […]

‘जो हुआ उसमें भगवान की मर्ज़ी थी। हर व्यक्ति जो आया है,जाएगा,जितने दिन का साथ था सो साथ रहा।’ आंटी के मुख से ऐसे शब्दों को सुन मन प्रफुल्लित हो गया। अभी तीन साल पहले ही हम मिले थे। मैं उन्हें योगा सिखाती थी। 65 वर्षीय आंटी शांत और सक्रिय […]

एक नन्हीं-सी कली मेरी बगिया में खिली, सींचा उसे प्यार से,पर दुनिया की नज़र लगी। कहते हैं खुशियाँ बांटने से बढ़ती है, पर यहाँ लगा खुशियाँ बांटने से घटती है। मेरे नन्हे से सपनो में जैसे आँख खुल गई, ऐसे ही वो ख़ुशी मुझसे दूर चली गई। कुछ कर्ज़ बाकी […]

आजकल हलचल और काम का बोझ मनुष्य को बहुत जल्दी विचलित कर देता है, जिसे ‘तनाव’ का नाम दिया जाता है। आज इससे सबसे ज्यादा महिलाएं सफ़र कर रही हैं। हम बेटियों को बेटे के बराबर की शिक्षा दे रहे हैं पर,जब वो इस लायक बन जाती तब बात आती। […]

निश्छल,निष्पाप,प्यार से बंधी है, मेरी माँ रिश्तों से नहीं,दिल से बनी है। गलतियां वो हमारी हमें ऐसे बताती है, जहाँ दिलों में हमारे अपने प्यार को बढ़ाती है। हर बंधन,हर रिश्ता उसे एक-सा लगता है, दुश्मन भी अपना उसे दोस्त-सा लगता है। अथाह सागर है प्यार का उसके पास, हर […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।