‘जो हुआ उसमें भगवान की मर्ज़ी थी। हर व्यक्ति जो आया है,जाएगा,जितने दिन का साथ था सो साथ रहा।’
आंटी के मुख से ऐसे शब्दों को सुन मन प्रफुल्लित हो गया। अभी तीन साल पहले ही हम मिले थे। मैं उन्हें योगा सिखाती थी। 65 वर्षीय आंटी शांत और सक्रिय अपनी एक किडनी अपनी दूसरी बेटी को दे चुकी थी, जिसकी दोनों ही किडनी खराब थी। अभी पिछले वर्ष तक अपने बेटे से दुखी थी। उसकी शादी के आठ वर्ष हो चुके थे,पर भगवान ने उन्हें नौ
वर्ष बाद एक पोता देकर दादी बना दिया। तीन वर्ष में मैंने उनके घर के उतार-चढ़ाव देखे थे। आज उनसे मिलने इसलिए गई थी कि उनकी बेटी(जिसे उन्होंने किडनी दी) का देहान्त हो चुका था। अचानक आंटी भी किसी महिला रोग का ऑपरेशन करवाकर आई थी, पर आज जब उनसे मिली तो वही मासूम चेहरा मिला,जो हर हाल में सकारात्मकता से भरपूर रहता है। अचानक उनके शब्दों को सुनकर मेरे मुंह से निकला ‘यही तो है योग का असर, जो हर हाल में सकारात्मकता देता है।’
#प्रेरणा सेंद्रे
परिचय: प्रेरणा सेंद्रे इन्दौर में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।