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आज बुरा है, कल बद्तर होगा पर अगला दिन  शायद कुछ उजास हो, जब खिलेगी चुटकी भर धूप इस तमसित जीवन में आएगी बहार इस निर्जन के पतझड़ में, सुवासित हो जाएगी यह हृदय वाटिका  मोहक रंगीन पुष्पों से यह उम्मीद ही तो है जो गहन अंधेरों में भी एकाकी […]

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अधर हँसीं के पहरे धरकर,दर्द छुपाती सीने में। नहीं शिकायत करती चाहे,हो कठिनाई जीने में। जिस घर लेती जन्म सुता वो,बड़े नसीबों वाले हैं। बेटी के घर आते ही,खुलते किस्मत के ताले हैं। पारसमणि-सी प्यारी बेटी है अनमोल नगीने में। अधर हँसी के पहरे धरकर,दर्द छुपाती सीने में……….l बेटी है […]

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हे श्रमजीवी तुम चलते जाना, खनन कर निज तृष्णाओं का.. तर्पण कर मन की दुर्बलताओं का भीति तुम्हारे देव नहीं हैं क्या कर्मों पर संदेह कहीं है? तिमिर राह को भेदकर बन्धु, विजयश्री पथ पर बढ़ते जानाl हे श्रमजीवी तुम चलते जानाll है बहुत जटिल यह जीवन रण, व्यथित करे […]

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तपती हूँ मैं जलती हूँ मैं, होकर निष्प्राण जैसे मरती हूँ मैं.. रौंदकर मेरे सम्पूर्ण विस्तार को, बना डाला है मुझको अभागिन धरा। कर दिया खोखला तूने मेरी देह को, क्यूँ बनाया है बंजर मेरी कोख को.. करके दोहन मेरा छीन गहना लिया, पेड़-पौधों को भी तूने तनहा किया। पत्ते-पत्ते […]

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सुनो…… तुम बाल मत कटवाया करो, और साड़ी भी मत पहना करो.. पूरी कमर दिखा करती है, सूट ही अच्छा लगता है तुम पर। मुझे मेक-अप वाला फेस पसंद नहीं, सादगी ही तुम्हारी सुंदरता है.. मुझे तुम्हारे ये रिश्तेदार बिल्कुल पसंद नहीं, इनसे बातें मत किया करो.. तुम्हारे फोन का […]

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महिला दिवस आते ही पुरुषों का घड़ियाली आंसू बहाना शुरू हो जाता है। कविता,लेख,कहानी आदि-आदि द्वारा स्त्रियों के लिए सम्मान की भावना अचानक तूफान बन कहाँ से टूट पड़ती है कि, नारी तुम देवी हो,तुम सृष्टि की रचयिता हो, तुम्हारे बगैर कुछ भी सम्भव नहीं है वगैरह-वगैरह…। समझ नहीं आता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।