शहर तेरा है तुझे अच्छे से पता है, हालात कैसे तुझे अच्छे से पता है। एक मैं ही नहीं और भी गुनहगार है, नाम उसका भी तुझे अच्छे से पता है। कह ले जो कहना है तुझे मेरी पीठ पीछे, पर सच क्या है ये तुझे अच्छे से पता है। […]

  कहीं सुख है कहीं दुःख है, इसी का नाम दुनिया है। नहीं कुछ भी बिना, कठिनाइयों के जो मिले जग में। किसी भी और जाओ, आएंगें दुःख कष्ट तो मग में। कभी आशा चमकती है, निराशा का कभी तम है। वहीं नर वीर हैं जो दशाओं, में सदा सम […]

चंद सिक्कों की चमक खनक के आगे, ईमान डावांडोल करते हैं लोग आजकल। वो एक गरीब है जो लाखों का तनबदन, ईमान खातिर लगाता है मजूरी में आजकल। बेशक वो धनवान नहीं है नजर में जमाने की, पर वो ही एक अच्छा बचा है उसकी नजर में आजकल। सफेदी भले […]

नींद न आई रात भर दीए जलाए जाग कर, मन का कानन रहा भींगता सुधियों की बरसात में दीप सुलगता रहा दर्द में शलभों की पीड़ाएं सहकर, रजनी की आँखें पथराई अरमानों के आँसू पीकर। मेरी पीड़ा नील गगन के आंगन में भरती मैला है, धरती ने ममता से मेरे […]

बंदिशों का दौर गुजर जाए तो पास आओ न, बहुत दूर-दूर से हो गए हो,खास हो जाओ न। मेरे लबों की सोखियां खुश्क होने लगी है अब तो, इन लबों के दरमियां उन लबों को लाओ न। हैरान से दिन हैं मेरे परेशान-सी ये सर्द रातें हैं, कुछ गर्मजोशी का […]

अब तो मुझे जीने दो चैनो-अमन से, बहुत सताया मुझे तुमने नैनों दमन सेl जिंदगी बेज़ार न करो मेरी तड़पन से, आओ मिलो मेरी दिली उलझन सेl शातिर जमाना है खेलता धड़कन से, उसको मतलब पूर्ति उसके सपन सेl बस यूं ही खेलते हैं वो सब दिलन से, उसे परहेज […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।