01ः- राज का रंग चढ़कर बोलता होली के संग। 02ः- घुल गए हैं लाल पीले नीले भी इस होली में। 03ः- पर्व बनते संस्कृति के दूत हमारे यहां। 04 – साफ-सफाई मिलन की ऋतु सी होली आई। 05ः- भेद मिटा के प््रोम रंग घोलने होली है आती। #शशांक मिश्र परिचय:शशांक […]

     साठ साल के मोतीचन्द,मुंह से शराब की बदबू फैलाते दुकान पर खड़े कहे जा रहे थे-मुझे शान्ति चाहिए! शान्ति!!      तभी एक सिरफिरा आ टकराया।     `क्या कीमत दोगे?`      `कीमत!,कीमत में तो मैं अपनी बीबी तक दे सकता हूं।` मोतीचन्द ने जबाब दिया। इससे आगे […]

देश के एक राज्य में परिवारवादी दल को चुनाव के समय अपनी कुर्सी कैसे बचे,इसकी चिन्ता हुईl पहले परिवारिक बरतन यात्रा निकाली,परिणाम `ढाक के तीन पात`। आवाजें रात-दिन ठन-ठन-ठन। मन-मस्तिष्क पर बल पड़े। एकान्त में मिले,पटकथा लिखी। अगले दिन नाटक मंचित हुआ। एक ने एक समुदाय,दूसरे ने एक समूह को […]

प्राचीनकाल में जब किसी भी सार्वजनिक-धार्मिक स्थल में विभिन्न धर्म,सम्प्रदाय या क्षेत्र के लोग मिलते थे,तब संस्कृत या हिन्दी भाषा का ही प्रयोग करते थेl तब कोई मजबूरी नहीं होती थी किसी अन्य विदेशी भाषा को अर्जित करने की,पर आज बहुत से लोग इंग्लिश भाषा की पैरवी करते हुए उसे […]

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  वृक्ष की शान पे हमेशा मुस्कराई पत्ती। द्रवित हुई विछड़ कर वृक्ष से गिरी पत्ती।। हवा ने भी खूब इधर-उधर नचाई पत्ती। हाल पर अपने विचलित छटपटाई पत्ती।। तभी वृक्ष ने वहीं से आस जगाई उसकी। थी अभी तक मेरा जीवन आधार तू पत्ती।। व्यर्थ न जीवन अब भी,तू […]

चले थे..साथ हम… नन्हें-नन्हें से क़दम। साथ ही खुशियाँ भी, निच्छ्ल था तन-मन.. वह निराला था बचपन॥ समय में ऐसे आँजे, चूर हुए सपने साँझे। बड़ा हुआ कद साया, अहं आकर टकराया। अंतर्मन को उलझाया, राहें विषम..समझाया॥ छतरी अपनी अलग हुई, भिगो भीतर मलिन हुई। कीचड़-सी बरसात हुई, सुथरी तस्वीर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।