स्वर्ग सिधारे पिताजी, बेटा निभा रहा है फर्ज.. धीरे-धीरे उतार रहा है, पिता का लिया–कर्ज। कर्ज में वह पैदा हुआ, कर्ज में ही मर जाएगा.. कर्ज चुकाने के लिए, फिर कर्ज कर जाएगा। कर्ज एक ऐसा रोग है, जिसका न कोई इलाज.. घर-खेती सबकुछ बिके, बिक जाती है–लाज। बोल कर […]