सुबह की चाय के साथ ज्यों ही अखबार खोलकर बैठी,एक मन्द-सी मुस्कान अनायास ही मेरे चेहरे पर बिखर गई। पूरा अखबार डिस्काउन्ट सेल के विज्ञापनों से भरा पड़ा था..और हो भी क्यों नहीं,आखिर महिला दिवस (‘वूमन्स-डे’)जो था। इस तरह के क्षणिक आकर्षण ही तो ऐसे ‘डे’ के पर्याय बनते जा […]

दरिया बहती… बढ़ती जाती… पल-पल एहसास कराती, नदियों से मिल.. खिल लहरों से, नव सागर एक दीप्त बनाती…। कभी थमना तो,तेज बहते जाना… जीवन का खेल सिखाती मुस्कुरा खुशियों से.. गमों में यूँ गुनगुना, कल..आज-कल… क्या हुआ,अब होगा क्या..? अनुरागी-वैरागी मन… रचती जन्म-जन्मान्तर… जागृत पुण्यों को करती। रागिनी बन दिल […]

तेरे साथ जो, बीते हैं पल मेरे.. वो याद दिलाते हैं तेरी चाहत की खुशबू….। भोर की सुबह हो, या रात की गहरी चादर.. मेरी दुनिया रंग-बिरंगी तेरी यादों से रोशन…..। खुशबू तेरी यादों की, महक उठी मानो जैसे.. कोई अल्हड़ दीवानी, खेलती हो रंगों से होली….। #सुबोध कर्णिक परिचय […]

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गुल्लू बोला मम्मी से, आज क्लास में मैडम जी ने बड़े पते की बात बताई, खेल-खेल में हम बच्चों को बड़े मज़े की बात सिखाई। पता है तुमको अपनी पृथ्वी, गोल है बिल्कुल गेंद के जैसी.. लटक रही आकाश में ऐसी, बिन डंडी के सेब के जैसी। बिना थके चक्कर […]

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इश्क-ए-कोहसार से, कूद के उतरती है ये जिस्म की नदी। झरने-सी गिरती, कूद-फाँद करती उछल-उछल बहती। फिर वक्त के मैदान में, खामोशियों की झील-सी.. मर्यादा के पाटों में, मन्द-मन्द बहती। और शिद्दत की कभी, बरसातों में अक्सर पाट तोड़ बहती। पाने को अंत में, रूह-ए-समंदरम्। रूह-ए-समंदर से, उठती फिर काली […]

दोनों वरिष्ठ कवि मंडी से टमाटर खरीद कर लौटे थे। एक जमाना था जब वे दो-चार कविताएं सुनाकर टमाटर-बैंगन वगैरह इकठ्ठा कर लिया करते थे। उस समय कविता को लेकर लोगों में जबरदस्त संवेदना थी। कविताएं तो उनकी आज भी वैसी ही हैं,टमाटर भी सस्ते हैं लेकिन लोगों ने बर्दाश्त […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।