गले कैसे मिलें भैया, जब पेट हो गए मोटे। फोकट में दिल्ली लूटे, जो सिक्के हैं खोटे। सारे रिश्ते नाते हो गए, आज के माहौल में छोटे। अपराधी मौज कर रहे, फरियादी खा रहे हैं सोटे। रंग लगाने किसको जाएं, लगाने से पहले हम सोचें। नवरंगी हो हमारा हर पल, […]

अश्क़ इतने बहा लिए जाएं, दर्द सब आज़मा लिए जाएं। आज़ गफ़लत नहीं रहे कोई, राज़ सबसे जता लिए जाएं। मेज़बानी की इस शुमारी में, हाल बिखरे जमा लिए जाएं। काम आसान नज़र आएगा, हाथ सबके मिला लिए जाएं। हैसियत जानकर यहाँ अपनी, बोझ सर से हटा लिए जाएं।   […]

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बहुत-सी बातें कहती दिनभर, फिर भी अनकही सी रह जाती.. गृहस्थी की चिंगारियों को अपने आंचल से ढँककर छुपाती, खुद अस्त-व्यस्त होकर भी.. सबकी जिंदगी मे रंग भरती.. अंदर-ही-अंदर धधकती, मुंह पर झूठी मुस्कान बिखेरती.. ये सुप्त ज्वालामुखी-सी औरतें….। लीपे-पुते चेहरे से झाँकती, उदासी की लकीरें दबा नहीं पाती.. प्याले […]

बूंद-बूंद जल का, महत्व जान लो.. जल जीवन है, पहचान लो..। होली में होगा, होलिका दहन.. पाप की जलेगी चिता, भड़केगी आग.. खुशियों के नाम पर, बहाया जाएगा जल..। धरा होगी एक दिन, सूखी अतृप्त.. करेंगें यही त्राहिमाम, कर रहे जो पाप.. स्वंय अपने ही हाथ..। कुछ पल ठहर कर, […]

परिंदे को परिंदे की पहचान है, चहुँओर मच रहा घमासान है। कतर रहे पर एक-दूजे के, बनती इससे ही इनकी शान है। बजाते सब ढपली अपनी-अपनी, न सुर है, न कोई ताल है। भूल रहे सभ्य सभ्यता सब अपनी, फिर भी खुद को खुद पर नाज़ है। कहते जीत रहे […]

घर की माली हालत ठीक नहीं थी।अकेले पिता की कमाई से पूरा नहीं पड़ता था,तो तय हुआ कि माँ भी काम करे। सो माँ को काम तो मिल गया थोड़े प्रयास के बाद,परंतु बाहर जाना पड़ा ट्रेनिग के लिए..तो अब घर की सारी जिम्मेदारी नन्हीं अरुणा के नाजुक कंधों पर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।