मंजिल रूठ गई पैरों से, श्रम से दूर सफलता भागी आँखों में आ बैठा मरुथल, पथ को खाने लगीं दिशाएँ कहो मित्र!रोएं या गाएं। आंगन में उग रही उदासी, चौराहों पर खड़े लुटेरे छीन रही हिंसा पगलाई, सारे सपने तेरे-मेरे सम्बन्धों का उपवन उजड़ा, फल स्वार्थ के आक-जवासे छोटा हुआ […]

उदगम् स्थल में,अति सूक्ष्म- सी, कल कल मस्ती में,शैशव-सी जिंदगी नदी-सी। मुश्किलों से भिड़ जाती बाधाओं, पर्वतों से टकराती- सी, जिंदगी नदी-सी। जहाँ से जाती बालू सिमटाती सब प्रेम भरे रिश्तों नातों-सी, जिंदगी नदी-सी। मैदानों में शांत चित्त-सी, प्रपातों में उग्र व्यग्र-सी.. जिंदगी नदी-सी। सभ्यताओं के संग बहती-सी, लेकर सब […]

टिक न सकेगा कपट का, फर्जी …माया जाल। कुलभूषण के केस में, हुई जीत …हर हाल। हुई जीत हर हाल,मुकदमा भारत …जीता। थुड़ी पाक की हुई,झूठ का दगा…पलीता। कह ‘अरविन्द’ समझाय, भले हो…छम्ब,बटालिक। सदा सत्य की विजय,झूठ कैसे सकता टिक ?                   […]

दुनिया से डरने वाले,कब प्यार करते हैं, कशमकश में रहने वाले जीते ना मरते हैं। जो लोग सोचते रहते,दो राहे पर खड़े होकर, मंजिलों के सरताज,कभी बना नहीं करते हैं। बढ़ाई थी धड़कनें जिसने तेरे दिल की, वो आज भी तेरी हाँ का इंतज़ार करते हैं। कहती हो किनारा कर […]

वे वे अमीर हैं, रहने दो उन्हें अमीर करदो कैद उन्हें उनकी अमीरी के साथ। मत घूमो उनके चारों ओर उनकी पानी,कोक,बीयर, व्हिस्की की पुकार को गूंजने दो। अमीरी के महल में, पड़ी रहने दो खाली बोतलें, गंदे चादर, झूठी प्लेंटे,घूरा बनी डाइनिंग, जमीन पर सफेद और लाल दाग बने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।