पेड़ों ने कलियां-फूल बिखेर दिए, बरसात का स्वागत करने के लिए। कलियां खिली खोह खोल पंखुरी, मेघों में चम-चम चमकी बिजुरी, मन हर्षित तन कंपित सभी हुए। पेड़ों ने कलियां-फूल बिखेर दिए, बरसात का स्वागत करने के लिए। नयन मूंदे पेड़ों की सभी कोंपलें, बयार के संग-संग हिलें-डुलें पंछी […]
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मैंने…कब चाही अपने प्रेम की विलक्षण परिभाषा…। कब की…तुमसे मिलन की आशा..। मैंने कब चाहा तुम्हारे, मखमली आलिंगन का अधिकार ..। मैंने..कब चाहा तुमसे, चिर मिलन,समर्पण,या प्यार …। मेरे प्रेम को, नहीं चाहिए, शरीर का आकार…। यौवन का ..,ज्वार…। देह का ….चंदन …। शिराओं का…स्पंदन..। मैं तो प्यासा हूँ, उन्मुक्त […]