अमरनाथ यात्रियों  की  मौत पर आंसू बहाऊं, या झुलसते बंगाल की दास्तान पहले सुनाऊं। बढ़ती महंगाई,भूख से बिलखतों को सहलाऊं, या अन्नदाता  की तबाही का मंजर तुम्हें दिखाऊं॥ आपस में  बंटते भाई-भाई की दास्तान सुनाऊं, या तार-तार होते सुनहरे सपनों का सच बताऊं। रहनुमा की रहनुमाई पर झर-झर आंसू बहाऊं, […]

सोलहवाँ ये सावन मन को सताए, गौरी का दिल ये धड़क-धड़क जाए। वर्षा की बूँदों में, मन मचल जाए सोलहवां ये सावन आग-सी लगाए। सावन के झूले में जब भी वो झूलती है पैरों की पायल भी पाँव दोनों चूमती है। चुनरी भी आँचल से लिपटकर खेलती है, शादी विन […]

शूरवीर बुंदेला छत्रसाल सो प्रिये, बस गयो बुंदेलखंड जन-जन के हिये। परताप महाराजा को ध्यान धर ले, बुंदेलखंड आन,बान,शान के लिएll युवाओं को छाती अगन भर दे, कथाओं में खुद को मगन कर ले। बुंदेलखंड माटी नमन कर ले, मातृभूमि जीवन हवन कर दे। जिंदाबाद-जिंदाबाद वीर छत्रसाल, बुंदेलखंड जन-जन भजन […]

  उम्र की दहलीज पर खड़ी, वो पीछे छूटे बरसों लम्बे गलियारों को अचंभित-सी सोच रही थी, कहां आ गई है वो आज जो खुद को भी पहचान नहीं पा रही है विस्मृत सी स्मृतियों में खुद को खोजने लगती है वो नन्हीं-सी परी, सुनहरी काया सोने जैसे लम्बे  घुंघराले […]

अमरनाथ में शिव भक्तों पर कहर तोड़ने वालों। धर्म  आस्था  में हिंसा  का जहर  घोलने वालों। कायर हो तुम श्वान वंश के लानत तेरी हरकत पर। कायरता  भी  शर्मसार  है  तेरी  गंदी फितरत  पर। शिवभक्तों का लहू पुकारे अब तो जागो मोदी जी। निंदा नहीं मिसाइल अपनी अब तो दागो […]

आज रमेश और सुनीता के घर एक और फूल खिलने वाला था,और बाबा और दादी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। सबको यकीन था कि इस बार हमारे घर में बेटा ही होगा। सुनीता के पास इससे पहले ही एक बेटी थी ‘महक’। बहुत ही प्यारी(परंतु उससे प्यार करने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।