हे ! सावन तुम अब मत आना तुम्हारे नाम से ही हृदय मयूर नृत्य करने लगता है, तरह-तरह की भावनाएं हिलोरें लेने लगती हैं चहुँ ओर हरा-भरा हो जाता है। पर, कुछ के लिए तुम काल बन जाते हो, तुम्हारी वृष्टि का वेग बर्बादी के मंज़र को आमंत्रण दे देता […]

नजरों से नजर जब मिली थी कभी, नाम प्राण पृष्ठ पर तभी लिख गई। सोचा कई दफा जाकर कह दूँ आज अभी, कर गया दिल लड़कपन कुछ कहा ही नहीं। रोज लिखकर मैंने खत को दफन कर दिया, दिल में उठी उफन कहती है अब रूकेगी नहीं। अधरों पर मुस्कान […]

हे भारतीय राजनीति के कलंकों, अब तो देश को बख्श दो, आज़ादी से आज तक देश को छला, अब तो कुछ उत्थान हो जाने दो। अपनीकुर्सी न जाए तुम चलते हो गंदी चालें, कभी जाति, कभी धर्म, कभी भाषा की खड़ी करते हो दीवारें, आज भी देश ढो रहा है […]

ज्ञान मिला घनघोर मिला, बोलन लागे सब अंग्रेजी बोल.. अंग्रेजो की ‘अंगेजी’ के देखो पीछे पड़ गए भारत के सिर-मौर मातृ भाषा छोड़न लागे जब से … सुन लो इसके परिणाम , धीरे-धीरे विदेशी तर्ज पर जा रहा है, मेरा भारत महान। संस्कृति सभ्यता सब भूल रहे, नहीं किसी को […]

ख़्वाबों की कश्तियों में आओ कुछ और सफर कर लें, सारे जहां की दौलत हम अपने नाम कर लें। दौलत वह नहीं, जो तिजोरियों में कैद है, दौलत वह जो खुशबू,फूल,हवाओं में बिखरी है। बदलियों के आंचल से बारिशों में पसरी है, जो फुनगियों से निकली, सूरज की रोशनी में […]

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जाग उठा ह्रदय मन, खिल उठा अंतःकरण… रोम-रोम में रास हुआ, इस बार तुमने बहुत #गहरा छुआ…। ह्रदय छुअन का एहसास है, अंतरमन का ये विलाप है… मोह का मोह से मिलाप हुआ, हवाओं में हो कोई#तिलिस्म धुँआ…। दूर हो पर मन के पास हो, तुम#क्षितिज पर अम्बर-धरती का मिलाप […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।