सुनो गुलाब, और सारी फुलवारी से पूछ के बताओ… तुम तो अधपीली दूब को सिहुलकर,हरे रोपे गए थे न | तो तुम लाल कैसे हुए….! तुम बकलोल हो-असहिष्णु हो ? तुम्हें पता नहीं, ‘हरा रंग किनका` है ? इधर, बद्तमीज गेंदा भी ‘पीला’ हो गया पवित्र पीला…! क्यों भला ? […]

 देसी के साथ जब से विदेशी टमाटर आया है,देसी कुछ ज्‍यादा ही भाव खा रहा है। विदेशी के भाव तीसरी मंजिल पर तो,देसी के भाव आसमान पर। देसी खाकर कोई लाल हो रहा है,तो कोई उसके भाव सुनकर लाल हुआ जा रहा है। जो खरीद रहा है वो लाल है,जो […]

  हँस-हँसकर तू डोली चढ़ना मेरी बहना, न करना परवाह जमाने की सारी बंदिशें तोड़ आऊँगा फर्ज निभाने रेशम डोरे की l सास-ससुर सब सेवा कर, निज पत्नी धर्म निभाना l सदा ध्यान रख नारी सीमा का, कुलकीर्ति सुयश बढ़ाना तुम l परिवार तरूँ की डालों पर, नित्य प्रेम पुष्प […]

चाहत न रही,अब वो भी अनचाहा ख्याल हो गया। एक दुआ कुबूल नहीं,अब ख़ुदा भी बवाल हो गया ll उससे मिलना तो छोड़िए, ख्वाबों  में भी नहीं आता। सहर न आई कोई,उसको सुने एक साल हो गया ll बड़ी दूर निकल आया हूँ मैं  इस  वीराने  बंजर  में। थक गया […]

सुमातरम सुमातरम,सुमातरम सुमातरम, हे भारती सुमातरम,हे वन्दे मातरम… वन्दे,वन्दे,वन्दे मातरम्,वन्दे,वन्दे,वन्दे मातरम वन्दे मातरम,वन्दे मातरम,वन्दे मातरम,वन्दे मातरम। पवित्र नद्य निर्मलम,भूमि शस्यश्यामलम। सुफलाम सर्वहितम,पतितजनों पावनम, वन्दे-गंगे,वन्दे-गंगे,वन्दे-गंगे,गंगे मातरम। वन्दे,वन्दे,वन्दे मातरम। सुमातरम……………….ll पूज्यधेनु तुलसीयम,आँगनम सुशोभितम भावना सुमारगम, सौम्यता सुजीवनम। वन्दे-हिन्दे,वन्दे-हिन्दे,वन्दे-हिन्दे,हिन्दे मातरम। वन्दे,वन्दे,वन्दे मातरम। सुमातरम,……………..ll सैन्यजन महानतम,साहसी सुजानतम, भारती सुभोरतम,बाहुबल विशालतम। वन्दे-नंदे,वन्दे-नंदे,वन्दे-नंदे,नंदे मातरम, वन्दे,वन्दे,वन्दे मातरम। […]

  अनमोल बड़ा है ये बंधन, पावन रिश्ता रक्षाबंधन। उमड़-उमड़ के मन है जाता, जब-जब रक्षाबंधन आता। मन नेह दीप तब जल उठते, यादों में तेरी जब घिरते। भाई के मस्तक का चन्दन… पावन रिश्ता रक्षाबंधन…….ll माना हम खूब लड़ा करते, आंखों से भी मोती झरते। पल में यूँ रूठ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।