यह देख रहा है आंख फाड़ इसकी नीयत में खोट लगे, सन बासठ वाली भूले याद उन यादों को भी चोट लगे। जब हिन्दी चीनी भाई थे हमने सर्वस्व था सौंप दिया, तू निकला क्रूर घमंडी तूने छुरा पीठ में घोंप दिया। इस विस्तारवाद की नीति से न चीन […]

माना गुस्ताखियाँ बहुत हुईं मुझसे, कहीं  दिल आपका दुखा तो नहीं। हमने बिछाए फूल आपकी राहों में, बताएं  कोई काँटा लगा तो नहीं। उनको ढूंढते ज़माना है गुजरा, हमनवां कोई अभी मिला तो नहीं। बड़ी संग-दिल खुदगर्ज़ है दुनिया, कोई हमदर्द हमें दिखा तो नहीं। तक़दीर पर जब किया यकीं […]

मैं तो अछूत बच्चा हूँ जी, समझ का भी थोड़ा कच्चा हूँ जी। मुझे समझना है कि पापा क्यों पीते हैं, मुझे समझना है कि घर के बर्तन क्यों रीते हैं। मुझे समझना है कि मम्मी क्यों पिटती है, मुझे समझना है कि भूख कैसे मिटती है। क्यों मां मुझको […]

अन्जानों के साए में अपनों को खोजता है, बड़ा बावरा है वो जो इस कदर सोचता है। कौन कहता है गिरते नहीं जाँबाज जंग-ए-मैदान में, उसे क्या पता जो मैदान छोड़ स्थान ढूँढता है। लड़खड़ाया-सा क्यों है दौरे-ए-जूनून में, मन्जिल बाकी है अभी वो, नई राह ढूँढता है। रिश्तों की […]

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कुछ लोग ज़माने में यारों नफ़रत फैलाने वाले हैं। नींव हिले न हिले इनसे, दीवार हिलाने वाले हैं॥ कोई राम को गाली दे कोई रहीम को कोस रहा। फिर कैसे माना जाए कि अच्छे दिन आने वाले हैं॥ इन गद्दारों की बातों में सब कल की बातें भूल गए। हम […]

बहुसंख्यकों के बीच में अल्पसंख्यकों का वतन की सर्वोच्च आसंदी पर आसीन हो जाना हिन्दुस्तान की सरजमीं के अलावा कहीं दीगर मयस्सर नहीं है। जाके देखिए,उन मुल्कों में जहां अल्पसंख्यकों के लिए नुमाइंदगी तो छोड़िए मर्जी से जीना तक बमुश्किल है। यह हिन्दुस्तान की गंगा-जमना तहजीब की सीख है कि […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।