और कितने रावण?

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ramchandr
विजयादशमी के दिन रावण दहन देखने के लिए विशाल जनसमुदाय उत्सुकतापूर्वक इंतजार कर रहा था कि, कब तीर रावण को लगे,और रावण का अंत हो।
मैं भीड़ से अलग खड़ा भीड़ के बारे में सोच रहा था कि,ये लोग यहाँ नकारात्मक शक्तियों और सोच के प्रतीक रावण का दहन चाहते हैं, और मानसिक रूप से ‘बाबा संस्कृति’ के अनुगामी होकर नकारात्मक शक्तियों का पोषण कर रहे हैं। कितना विरोधाभास है इनकी सोच में, यदि हम अपने अंदर झांक कर देखें,तो नकारात्मक सोच के रुप में हर व्यक्ति के अंदर रावण छुपा बैठा है।
तभी अचानक पटाखों की आवाज आती है,और मैं सोचना छोड़कर रावण दहन देखने लगता हूं।
                                                                #रामचंद्र धर्मदासानी
परिचय : रामचंद्र धर्मदासानी का वर्तमान निवास मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध धार्मिक नगरी उज्जैन में है। आपकी जन्मतिथि- २६ मई १९४२ तथा जन्म स्थान-सख्खर (सिंध-वर्तमान पाक में) है। उज्जैन में बसे हुए श्री धर्मदासानी की शिक्षा-एम.ए. ,एम.काम.,एल.एल.बी और एम.एड. है। साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा में भी डिप्लोमा किया हुआ है। आप सेवानिवृत्त प्राचार्य(केन्द्रीय विद्यालय) होकर सामाजिक क्षेत्र में प्राकृतिक चिकित्सा, समाजसेवा व लेखन में सेवारत हैं। आपके लेखन की विधा-लघुकथा, संस्मरण एवं धार्मिक वृत्तांतों का लेखन है। १९६७ में पत्रिकाओं में लेख और कुछ कहानियाँ भी प्रकाशित हुई हैं। आप मानव जीवन का अध्ययन,क्रिया योग, विपश्यना से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य समाज के उपेक्षित क्षेत्रों को अनावृत्त कर उपयोगी उदाहरणों द्वारा समाज में जागृति लाना है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।