घुटुवन के बल जाए के, माखन में अंगुरी डूबाए के कछू खाए रहे,कछू गिराए रहे, माखन चोर लीला रचाए रहे। ग्वाल-बालन के टोली बुलाए के, छींके तक टीला बनवाए के खुद खाए रहे,सबन के खिलाए रहे, माखन चोर उड़दंग मचाए रहे। सब सखन के संग मिलाय के, जमुना के तट […]

माई रे गोकुल का ग्वाला,  वो नटवर मधुर मुरलीवाला श्याम छवि  माथे मुकुट मोर पंख विराजत गले सोभे वैजन्ती माला, माई रे गोकुल का ग्वालाl  जब पहन पियर पिताम्बर घूम, गली-गली मनभावन खेल दिखाता जड़ चेतन आनन्दित कर दुष्टों को भी हर्षाता, गोकुल का ग्वाला l  बाल सखा संग जब […]

रमेश बाबू ने खिड़की से पानी वाले से पानी लेकर पचास रूपए दिए व वापस तीस रूपए छुट्टे का इंतजार रहे थे कि, अचानक सिग्नल हो गया, ट्रेन चल दी। पानी वाला बाबूजी…. बाबूजी… चिल्लाता रहा,पर बाबू ये तो ट्रेन है सिग्नल के आगे शायद ही किसी की सुनती है। […]

बांसुरी के सुर में बंधकर गीत लिखना आ गया, देखकर सूरत तुम्हारी यूं लगा वो आ गया। थी बही यमुना जहां पर वो किनारा पा गया, आस बांधी थी जहां पर लो कन्हैया आ गया। सांवली सूरत जो देखी मन में आ गया खुमार, यूं लगा सावन-सा जैसे फिर से […]

नन्द को लाला वो बंशीवाला, मन का है काला,सखी बड़ो चितचोर है। बीच डगर में छेड़े कलईयां मेरी मरोड़े, दधि की मटकियां फोड़े,ऐसो नन्द किशोर है। अपने सखाओं संग करतो है उत्पात, काऊ से बो डरे नहीं बड़ो बरजोर है। दुर्लभ है जो सुख बड़े ग्यानी-ध्यानियों को, वाई सुख से […]

हर एक बात तुम्हारी अदा-सी लगती है। तुम्हारे बिन ये मोहब्बत सज़ा- सी लगती है॥ तुम्हारी ज़ुल्फ़ जो बिखरे घटा- सी लगती है। समेट लो जो इसे ये कज़ा-सी लगती है॥ रहा है मेरी मां का साया, इसलिए हर पल। हर एक बद्दुआ मुझको दुआ- सी लगती है॥ कहाँ है चैन उसे,फिर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।