तीन रंग का तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा। सफेद हरा केसरिया रंग है, एकता शांति सदभाव भरा है, सुख समृद्धि भाव भरा है। झंडे की है शान निराली, हर घर में है खुशहाली है। वीर जवानों शान वान है, मुश्किल चाहे जो भी आए, झंडे की शान है आन […]

दुःखी  धरा  की जनता  सारी। अब  तो  आओ  कृष्ण मुरारी॥ झूठ  खूब  फल-फूल  रहा  है। सच   फंदे   पे    झूल रहा  है॥ पशु   समान    इंसान   हुए  हैं। डगमग   अब   ईमान   हुए  हैं॥ असत्य   सत्य  पे   हुआ  भारी। अब  तो  आओ […]

हमारे देश में आजादी हमको फिर से लाना है, मेरे दिल की सभी बातें सभी को कह सुनाना है…। गए इस देश से अंग्रेज पर शासन उन्हीं-सा है, हमें शासन में भी अपने ही रँग को अब चढ़ाना है…। बहुत कुछ कह चुके हैं हम,बहुत कुछ सुन चुके हैं हम, […]

संजय भारद्वाज……. भाषा का प्रश्न समग्र है। भाषा अनुभूति को अभिव्यक्त करने का माध्यम भर नहीं है। भाषा सभ्यता को संस्कारित करने वाली वीणा एवं संस्कृति को शब्द देनेवाली वाणी है। किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और संस्कृति नष्ट करनी हो,तो उसकी भाषा नष्ट कर दीजिए। इस सूत्र को भारत […]

मैं आशा हूँ, मैं किरण हूँ मैं झील हूँ, मैं बहती नदी हूँ। मैं सरोवर में, खिलने वाला कमल हूँ मैं दो दिलों का संगम हूँ, विद्रोहियों का जंगम हूँ। मैं राष्ट्रगान की कद्रगान हूँ, जन-गण-मन का करती गुणगान हूँ मैं बरखा की स्वाति  हूँ, मैं आशाओं का दीप हूँ। […]

आज सोचा कुछ हिसाब हो जाए, कुछ लेखा-जोखा खास हो जाए l    अपनी ज़िंदगी का रोजनामा बना लूं, थोड़ी खतौनी कर लूं,थोड़ा खसरा कर लूं l    बचपन में कितना खेला,क्या खेला, इक चवन्नी का था,वो बाँध का मेला l    गुलाब लच्छे,चवन्नी के, हरी चटनी वाली गाज़र अठन्नी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।