काट औ छाँट जो रही जग में, दाग बेदाग़ जो रहे मग में; बढ़ा सौन्दर्य वे रहे प्रकृति, रचे ब्रह्माण्ड गति औ व्याप्ति। कष्ट पत्ती सही तो रंग बदली, लालिमा ले के लगी वह गहमी; गही महिमा ललाट लौ लहकी, किसी ने माधुरी वहाँ देखी। सेब जो जंगलों में सेवा […]
नदी किनारे गांव रे, खूब चलाओ नाव रे देखो भैया, भौंरे गुन-गुन करते देखो बहना, रंग-बिरंगे फूल खिलते पक्षी बैठे,पेड़ की छांव, करते चांव-चांव रे नदी किनारे….। कोयल कूहूँ-कूहूँ गाती, तितलियाँ फर्र-फर्र आती कौवें करते,कावं-कावं रे, नदी किनारे….। टन-टन घंटी बज गई, अब चलो,शाला लग गई जल्दी उठाओ,पावं रे, नदी […]