काट औ छाँट जो रही जग में, दाग बेदाग़ जो रहे मग में; बढ़ा सौन्दर्य वे रहे प्रकृति, रचे ब्रह्माण्ड गति औ व्याप्ति। कष्ट पत्ती सही तो रंग बदली, लालिमा ले के लगी वह गहमी; गही महिमा ललाट लौ लहकी, किसी ने माधुरी वहाँ देखी। सेब जो जंगलों में सेवा […]

मैंने स्वर्ग को… धरा पर उतरते देखा है। देवताओं को भी… चहल-पहल करते देखा है। ये जो मेरा घर है न… इसमें मैंने हर रुप को संवरते देखा है॥ यहाँ हिन्दुओं से विशेष स्नेह नहीं … न ही मुस्लिमों से परहेज़ है कोई। ये जो मेरा घर है न… इसमें […]

बाबू दिलीप सिंह,रामू को पैसा देते वक्त  हिदायत देते हुए कहते हैं -‘रामू यह पैसा मैं तुम्हें ब्याज पर दे रहा हूँ। हमें हर माह की हर १० तारीख को १० हजार मूलधन का १००९ रुपए सूद प्रति माह की दर से मिल ही जाना चाहिए,हमें दुबारा न कहना पड़े।’ […]

 ७५वीं वर्षगांठ पर विशेष भारतीय फिल्माकाश पर आज अलौकिक दैदीप्यमान तारे की तरह गत पांच दशकों से अपने अभिनय की चहुंऔर बहुमुखी आभा बिखेरते चले आ रहे अमिताभ बच्चन की आज ११ अक्टूबर को ७५ वीं वर्षगाँठ है। एक ऐसा व्यक्तित्व,जो अभिनय रुपी शहद के कटोरे से मंद-मंद मुस्कान बिखेरने […]

नदी किनारे गांव रे, खूब चलाओ नाव रे देखो भैया, भौंरे गुन-गुन करते देखो बहना, रंग-बिरंगे फूल खिलते पक्षी बैठे,पेड़ की छांव, करते चांव-चांव रे नदी किनारे….। कोयल कूहूँ-कूहूँ गाती, तितलियाँ फर्र-फर्र आती कौवें करते,कावं-कावं रे, नदी किनारे….। टन-टन घंटी बज गई, अब चलो,शाला लग गई जल्दी उठाओ,पावं रे, नदी […]

परिवार रुपी, घर-आँगन में, जबसे लगाना, भूल गए हम, प्रेम-संस्कार की ‘बाड़’। तभी से, हम सब, बिखर गए, घर-आँगन हो गया, उजाड़ ही उजाड़। न बचा फाटक, न बची फटकी, न बचे उजालदान, न बची किवाड़ी, केवल बच गए, बन्द  ‘किवाड़’।                   […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।