कारवां न चले मेरे संग में तो क्या, राह मेरी अकेले भी कट जाएगी। पग में हैं भरे मेरे काँटें तो क्या, चुन के उनको हटाना है आता मुझे। ज़ख़्म सहकर मैं मुस्कुराता सदा, दर्द जीना हमेशा सिखाता मुझे॥ देखकर मुश्किलें जो सहम जाऊँ मैं, आ के नाकामी मुझसे लिपट […]

वही फिर हमें याद आने लगे हैं, जिन्हें भूलने में जमाने लगे हैं। न जाने उन्हें है हुआ आजकल क्या, मुझे देखकर मुस्कुराने लगे हैं। भले है नहीं आज औकात इतनी, मगर बाेझ हद तक उठाने लगे हैं। मुझे मार डालाे, मेरा कत्ल कर दाे, कि हम हर कहीं सर […]

धनिया धनवन्ती जी बनकर, झाड़ू-पोंछा-बर्तन तज कर बनकर सुशिक्षिता गाँवों में, अपना उद्योग चलाएगी। कोई न किसी का चर होगा, मजदूर-कृषक साक्षर होगा जब रधिया कोरे कागज पर, अंगूठा नहीं लगाएगी। जब तज कर यह बंदूकराज, आतंकहीन होगा समाज कोई गोली आकर गांधी का, सीना चीर न पाएगी। फिर मिलकर […]

  घर का दीपक, बेटा होता है। कुटुम्ब परिवार का नाम चलता है। बेटी तो शादी के बाद पति के घर चली जाती है। ससुराल में अपना ही घर-परिवार बसाती है। सदियों से ये परम्परा, चली आई है चलती जाएगी, कानून में भी मान्यता है। बेटी से भी ससुराल में, […]

  नहीं भरोसा कर सकते, तो कोई क्या कर सकता है। राम भक्त-सा हृदय चीरकर, बस असमय मर सकता है॥ जब अपने दिल-दर्पण को, हम साफ नहीं रख पाएंगे। इम्तहान  जीवन  भर देगा, किन्तु नहीं तर सकता है॥                         […]

यह तो सर्वविदित है कि,पिछली सरकार के १० वर्ष तक हमारे प्रधानमंत्री रोबोट थे। उन्हें रिमोट द्वारा संचालित किया जाता था, लेकिन इस सरकार के गठन से पहले ही वर्तमान प्रधानमंत्री ने लोगों की आस जगाई थी,जिसके फलस्वरूप मोदी जी को प्रचण्ड बहुमत मिल। इसके कारण आधुनिक समर्थक ‘अंधभक्त’ और […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।