मानव जीवन की सबसे बड़ी और अनदेखी पूंजी यदि कोई है तो वह है-हमारा स्वास्थ्यl अनदेखी इसलिए कहा,क्योंकि हम जब तक हम  बिस्तर न पकड़ लें या किसी रोग से गम्भीर रूप से ग्रसित न हो जाएं तब तक,कम-से-कम अपने स्वास्थ्य की चिंता तो नहीं ही करते हैं। हां,केवल अपने […]

वर्तमान समय में रिश्तों में बिगाड़ और बिखराव एक गम्भीर समस्या बनती जा रही है। बात-बात पर रिश्ते बिगड़ जाना और फिर आपस में संवादहीनता का पसर जाना रिश्तों को कहीं दूर तक बिखरा देता है,जिन्हें फिर से समेटना मुश्किल हो जाता है। घर-परिवार,समाज या अन्य रिश्ते-नातों में निरन्तर आ […]

सबसे पहले यह निर्धारित किया जाना चाहिए कि,हम स्वयं से क्या चाहते हैं ? यानी हम स्वयं अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं,क्योंकि वास्तव में चाहे जितना भी हम अपने आसपास में देखें, सीखें या समझें,या कोई प्रेरणा दे तो भी, हम करते वो ही हैं जो हमारे अंतर्मन […]

जो आदत हमारे इर्द-गिर्द के वातावरण में पनपती है,उसमें कुछ अच्छी होती है-कुछ बुरी होती है। कुछ हमारे जीवन का उत्कर्ष करती है तो कुछ हमारी बर्बादी का मूल कारण बनती है। अगर आदत अच्छी है तो उसे पुष्ट कीजिए,और अगर बुरी है तो उससे दूर रहिए। अपनी आदत के […]

हम मानसिक रूप से आज भी गुलाम हैं और इस गुलामी को बनाए रखने में हमारी असफल शिक्षा व्यवस्था की भूमिका अहम है। वास्तविक रूप से शिक्षित हुए बिना ही महाविद्यालयों -विश्वविद्यालयों से उपाधियां मिल जाती हैं और येन-केन प्रकारेण उच्च पद या उच्च सफलता को हथियाने में सफलता भी […]

गुरुग्राम के निजी स्कूल में हुई अत्यंत घृणित और नीच हरकत ने पूरे देश के पालकों को डरा दिया है,मगर आखिर कब तक हम लचर और लाचार व्यवस्थाओं की सड़ी-गली बदबूदार गलियों के चक्कर खाते शिक्षा के सुधरने की बाट जोहते रहेंगे। एक अंधी होड़ है बस कैसे भी करके […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।