हे मां, तेरी है शान निराली, आभा अदभुत चमकत न्यारी। तेरे सारे पेड़ ये झूमें, हवा के शीतल झोंकों से मन भी कंपित-सा होकर, भरता पंछी बन उडारी। हे मां, तेरी है शान निराली, आभा अदभुत चमकत न्यारी। स्पर्श अदृश्य कोमल सुगंधमय, हवा में सारंगी के तार की लय झूम […]

ईर्ष्या की आँधी आडम्बर,के तूफां से टकराना है। हम दीपक हैं काम हमारा,तो उजियारा फैलाना है॥ स्वार्थपरकता के बादल जब,सच के सूरज पर छाते हैं। लालच के अँधियारे मिलकर,सच्चाई को खा जाते हैं॥ तब अचेत जन साधारण को,सच्चाई से मिलवाना है…, हम दीपक हैं काम हमारा,तो उजियारा फैलाना है…॥ पतझर […]

नज़र भर न देखो, नज़र को नज़र से नज़र को नज़र की, नज़र लग न जाए। शहर में क़हर है, क़हर में शहर है ठहर जा शहर में, क़हर हो न जाए। ज़हर ही ज़हर को, ज़हर-सा है काटे ज़हर से ज़हर को, ज़हर हो न जाए। पहर दो पहर […]

राष्ट्रभक्ति निज शक्ति मन में पसार करें, कोटि-कोटि जन का उद्धार होना चाहिए। राम नहीं दिखें अब रावण हैं चहुँ ओर, दुष्ट जन का अब संहार होना चाहिए। प्राण प्रण से जुटे जो देश सेवा राह पर, उन्हें सत्कार औ उपहार होना चाहिए। शर्मसार मानव है,बेलगाम दानव है, दानवी चलन […]

‘मैं कौन हूं ?’, प्रश्न पर मौन हूं। मौन रहकर भी वाचाल हूं मन से। मां-बाप बापू से पूछा था प्रश्न यही, ‘आप हमारी बिटिया हैं’ मिला था जवाब। पति से दुहराया प्रश्न ‘अरे पगली! धर्मपत्नी हो मेरी,और कौन।’ नियुक्ति-पत्र मिला देखने में आया, प्रोबेशनर आफिसर हूं। ऐसे ही कई-कई […]

दुःख दर्द भी जिसका मजा लूट रहे हैं, वही आँसू आज मोती बनकर छूट रहे हैं। रिश्तों की खनखनाहट है और टूटने का डर, बचाने के लिए आँखों से आँसू फूट रहे हैं। होंठ पड़े हैं निःशब्द पूछने के लिए क्या हुआ? करीब जाने का रस्ता ढ़ूढ़ रहे हैं। जीवनभर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।