स्नेह संचित घना वृक्ष है परिवार…, कई रिश्तो में गुंथा हुआ सुन्दर हार है परिवार…। जैसे वृक्ष की डालियाँ फूल, पत्तियां ,फल ,छांव, ऐसे ही घर के बड़े बुजुर्ग स्नेह व् संरक्षण की छांव देते, सहेजते पल्ल्वित करते हैं परिवार…। जिनकी छत्रछाया में खेलता बढ़ता निश्छल बचपन, उन्मुक्त यौवन और […]

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देह दीपक बनी प्राण बाती हुए, द्वार पर हे प्रिये तुम सजा लो मुझे। बुझ न जाऊँ कहीं,ग़म के तूफान से, अपने आँचल से ढंक लो छुपा लो मुझे॥ है सुखों का उजाला अभी भाग्य में, बात मुझको बतानी है संसार को… ये मुहब्बत अगर मुझको मिलती रहे, दूर कर […]

वृद्धाआश्रम में रहकर भी, माँ संतान सप्तमी रहती है। हो जाए न बच्चे का अनिष्ट, यही सोच प्रभु को भजती है॥ दुनिया का उसे कोई मोह नहीं, पर उससे वो मोह करती है। आशा का दीप जलाकर, देहरी पर  बैठा करती है॥ उसकी गलतियों पर भी, वो किस्मत को दोष […]

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एक सती वृंदा से छल किया, तो भगवान को भी पत्थर बनना पड़ा। आज का इंसान,क्यों नहीं समझ पाता इतनी सी बात को। पत्थर दिल इंसान, पत्थर बनने से न डरे, पर,खुद भी तो पत्थर न बने॥                           […]

माँ ममता के अमृत से जीवन को सींचे। मेरी जिन्दगी है पापा के पाँव के नीचे॥ कहते हैं पापा-बेटा,इच्छा भर पढ़ो। जीवन में उन्नति की चोटी पर चढ़ो॥ बढ़ते चलो,आगे बढ़ते चलो। अच्छाई के साँचे में सच्चाई से ढलो॥ पैसे की चिन्ता न करना बेटा। मन लगा के पढ़ना,मैं हूँ […]

‘राम तुम्हारी माँ का पत्र आया है,’दीपा ने चिढ़ते हुए कहा। ‘क्या लिखा है जरा पढ़ना तो’, राम ने दीपा से कहा। ‘क्या लिखा होगा! यही कि,सर्दियाँ आ गई है,मुझे यहां से ले जाओ। हर बार का नाटक। बीमारी का बहाना बनाकर आ जाती है और पूरी ठंड में हमें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।