काहे का रिश्ता और काहे का दखल..आज मनुष्य इतना स्वार्थी और संवेदनहीन हो गया है कि,रिश्तों की अहमियत नहीं समझ सकता। आज कोई किसी के काम में अनावश्यक तो क्या आवश्यक दखल भी नहीं देता। कहीं बात का बतंगड़,तिल का ताड़ न बन जाए। कोई किसी पर भरोसा नहीं करता,और […]

काहे का रिश्ता और काहे का दखल..आज मनुष्य इतना स्वार्थी और संवेदनहीन हो गया है कि,रिश्तों की अहमियत नहीं समझ सकता। आज कोई किसी के काम में अनावश्यक तो क्या आवश्यक दखल भी नहीं देता। कहीं बात का बतंगड़,तिल का ताड़ न बन जाए। कोई किसी पर भरोसा नहीं करता,और […]

जीवन के चार पल बीत न जाएंग, दुख संत्रास घुटन पीड़ा में आओ हंस लें,जी लें गा लें।  हमसे ही तो है जमाना हम चाहें तो पर्वत झुक जाए, हम चाहें तो नदियों की धारा मुड़ जाए। तख्त जमीं पर आ जाए ताज सिरों पर सज जाए, फर्श अर्श पर,अर्श […]

शक्ति स्वरूपा दुर्गा थी वो अम्बा थी कल्यानी थी, रणचण्डी का रूप धरे वो झाँसी वाली रानी थी। कटि में बाँधे लाल काल-सी मैदां में वो उतर गई, तोड़ महल के सारे बंधन शाही वैभव से मुकर गई। उसे फिरंगी सेना की अब तो नींव हिलानी थी, रणचण्डी का रूप […]

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आदमी आदमी न रहा, कभी सब प्राणी मात्र थे। फिर जंगल खत्म होते गए, इंसान सभ्य होते गए… स्वार्थ बढ़ता गया…। अर्थ जितना बढ़ा… सोच घटती गई, हुए कमरे नए… उसमें चीजें नई…। भोर-दोपहर खरीदा, और शाम सुरमई…! बिक गया दीन… ईमान इक भूख पर। कितने अरमां दफन, हैं इक […]

बड़ी भीड़ थी वहां, कुछ शोर भी मच रहा था। जो देखा आगे जाकर इंसानियत का अंतिम संस्कार हो रहा था। बड़ा घृणित मंजर था वह, एक महापाप हो रहा था। वहशी बने खड़े थे कुछ लोग, एक मासूम मृत-सा वहीं पड़ा था। उसके हाथों में एक खाने की थैली […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।