फासला कम मैं कर दिखाती हूँ। प्यार को अपने आजमाती हूँ॥ तिश्नगी मेरी क्यों नहीं बुझती। ओस से अपना दिल जलाती हूँ॥ आप-बीती चलो मेरी सुन लो। सभी छिपी बातें अब बताती हूँ॥ क्या मिला जान दे के भी मुझको। दिलजले से जिया लगाती हूँ॥ वो नहीं समझे प्यार को […]
परिदृश्य चाहे वैश्विक हो,राष्ट्रीय हो,सामाजिक हो या पारिवारिक हो-कुछ भी करने से पहले यह प्रश्न हमेशा सालता है कि-`लोग क्या कहेंगे ?` उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी और इसका हमारे मूल्यों,सिद्धान्तों और जीवन पर क्या असर पड़ेगा! चिन्तन का पहलू यह होना चाहिए-हमको लोगों के कहने की कितनी परवाह करना चाहिए,क्योंकि […]