अगर सैलाब उतरा तो किनारा हम भी देखेंगें, तुम्हारे हुस्न का दिलकश नज़ारा हम भी देखेंगें। हटा दो ज़ुल्फ की काली घटा को अपने चेहरे से, चमकती चाँदनी,रौशन सितारा हम भी देखेंगें। जिसे कल तक तुम्हारी चाहतों का ही सहारा था, उसे कैसे किया है बे-सहारा,हम भी देखेंगें। सुना है […]

तेरे प्रेमी भक्त हैं,कान्हा!कई करोड़। सबके मन से किस तरह,करते हो गठजोड़? मधुबन्ती ब्रजभूमि में,कान्हा मधु का धाम। मधुमय वंशी स्वर सरस,मधुमय राधा नाम॥ रुदन देती कभी,देती हँसी ललाम। कान्हा!तेरी बाँसुरी,गूंज रही अविराम॥ छोड़ गए ब्रज में रुदन,पीड़ा,व्यथा अनंत। कहो द्वारिकाधीश! कब,होगा इनका अंत ?॥           […]

महाविद्यालय चाहे तो स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रम भी शुरू कर सकता हैl राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ही अब चिकित्सा महाविद्यालय की मान्यता देगा,हर साल चिकित्सा महाविद्यालय को नवीनीकरण हेतु चिकित्सा परिषद् में चक्कर न लगाकर यह आयोग भी मामलों को देखेगाl हर वर्ष का निरीक्षण ख़त्म कर दिया गया है,अब हर दिन ऑनलाइन नजर होगीl ४७९ चिकित्सा महाविद्यालय में से ३५० ऑनलाइन जुड़ चुके हैंl अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग […]

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पता नहीं,तब अपोलो या `एम्स` जैसे अस्पताल थे या नहीं, लेकिन बचपन में अखबारों में किसी किसी चर्चित हस्ती-खासकर राजनेता के इलाज के लिए विदेश जाने की खबर पढ़कर मैं आश्चर्यचकित रह जाता था। अखबारों में अक्सर किसी-न-किसी बूढ़े व बीमार राजनेता की बीमारी की खबर होती थी। साथ में […]

संघर्ष सतत करते जाना, कभी न तुम थक जानाl जीवन के लक्ष्य पर तुम, निरन्तर आगे बढ़ते जानाl परमात्मा को साथी बना लो, पथ का उसे सारथी बना लोl राह आसान करते जाना, सफलताओं को पाते जानाl मंजिल बिल्कुल दूर नहीं है, कठिनाई जरा भी नहीं हैl विकारों को छोड़ते […]

चिड़िया रानी बड़ी सयानी, अपने मन की हो तुम रानी। छोटे-छोटे पैरों से तुम, फुदक-फुदक कर चलती हो। जाँच-परख कर अच्छे से, फिर चोंच से दाना चुगती हो। बड़ी गजब की फुर्तीली हो, चंचल कोमल शर्मीली हो। कभी घास पर-कभी डाल पर, चीं-चीं करती फिरती हो। खुले गगन में पंख […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।