पल-पल नव बीते, बीते नव दिवस अरु रात। सप्ताह बावन बीत गए, बीत गए बारह मास॥ फिर आया नव बरस, नव पर नव परभात। हँसी-ख़ुशी अरु आनन्द लिए, मन में अति उल्लास॥ प्रभु की मेहर बनी रहे, घर-घर हो शांति का वास। प्राकृतिक प्रकोप से रक्षा करे, विनती करें दशरथ […]

न परिंदों में कोई आहट,न फसलों की कहीं आमद, न मौसम में ही कुछ बदला,ये कैसा साल है बदला ? न इन्सानी बढ़े रिश्ते,न मानवता कहीं तड़पी, नहीं इन्सां कहीं बदला,ये कैसा साल है बदला ? न सूरज में बढ़ी गर्मी,न सर्दी में कहीं नरमी, न कोहरे ने ही रंग […]

प्रिय सत्रह साल के दिसम्बर एक गुजारिश है तुझसे, वैसे मांगने की कोई जरुरत नईं , पर मेरी इंसानी फितरत ही है… किसी-न-किसी से कुछ-ना-कुछ, मांगते ही रहने की माता से,पिता से, भाईयों से,बहनों से,दोस्तों गुरूजनों से,अनाकलनीय शक्ति से, भगवान से,ईश्वर से,अल्लाह से… परमपिता से,और न जाने किस-किस से… लेकिन […]

आन-बान-शान बढ़े,भारत का मान बढ़े, मंगल यह राष्ट्रहित आने वाला साल हो। जाति,धर्म,कौम,दल तेरा हो अलग चाहे, कौमी एकता की पर सुंदर मिसाल हो। हो सशक्त देश और तेज ये विकास करे, सैन्य बल पहले से और भी विशाल हो। फैले हरियाली और सब ही निरोगी रहें, नर-नारी,बच्चे-बूढ़े,देश खुशहाल हो॥ […]

संसार का नाम है भ्रमण,संस धातु से बना है जिसका अर्थ है संसरण करना,और संसार में भ्रमण का कारण है मोहl मोह के दो रूप हैं राग और द्वेषl प्रत्येक जीव प्रत्येक क्षण किसी से राग करता है, और किसी से द्वेष करता हैl मोह एक तराजू या तुला है,जिसके […]

हुआ चराचर मुग्धमन,सुन बंशी की तान। कान्हा की छेड़ी मृदुल,ध्वनि जब पहुंची कान॥ पूछे यमुना की विकल,लहरों का संगीत। विकल प्रतीक्षा तक गई,कब आओगे मीत॥ वंशी अब रख दो उधर,अरिमर्दन  अभिराम। चक्र सुदर्शन हाथ में,फिर से लो घनश्याम॥ मोह चराचर को लिया,लीला ललित दिखाय। यमुना-तीर तमाल तरु,मुरली मधुर   बजाय॥   […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।