ऐसे मरते जाएंगे कैसे हो निर्माण देश का, जहाँ गुरु ही हो लाचार। महीनों वेतन के लाले हों, चाहे कितना रहे बीमार। सभी सुविधाएँ भोग रहे हैं, सत्ता जिनके हाथों में। ला देंगे फिर से सड़कों पर, धमकाते हैं बातों में। वो क्या समझे दर्द किसी का, जो करते हैं […]

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खिजा के फूल से झर रहे हैं पल। जिन्दगी की डाल से, खुद से हैं सवाल से…? रास्ते भटक गए हैं… मोड़ पर अटक गए हैं। शाम-सी तमाम है, जिन्दगी की चाल भी। रुके-रुके कदम कहीं, झुका-सा आसमान भी। अंधकार छा गया…, रजनी बन आ गया…। जुगनू चमक उठे, तारे […]

पराधीन हो जीना इस जग में किसको भाता है, लेकिन काजल को हर दिन आंखों में सोना आता है। कानों की बाली भी,कानों से बंधकर बजती है। हर युवती की नाक की नथिया भी वहीं पे सजती है। हार भी हंसकर सहज गले का प्यार यहां बन जाता है। कमरधनी […]

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पीछे मुड़कर देख पथिक तू कहां चला है,                                                      सोचकर गंभीर तू कहाँ चला है। याद कर अपनी मंजिल जो ठानी थी, कर पल-पल को […]

निकला सूर्य बिखेरी किरणें भोर उठ गया, फिर भी बेंच पड़ी है खाली। हरी दूब के गलियारे में खेल रही है धूप कबड्डी, क्यारी में गुलमोहर खिलता खोल रहा कलियों की गड्डी। पेड़ों की पुलुई पर चौसर, खेल रही है पासा फेंक सुनहरी लाली। लगता तो है कुछ-कुछ ऐसा हवा […]

दे विरह वेदना कौन ? तड़पा गया, बन के छलिया,छल के कहां चला गया। मैं बिलखती हृदय में यूँ संताप ले, अश्रु गिरते नयन के हैं अब बह चलें। कौन दुष्यन्त बनकर हमारा नयन, दे गया यूँ निशानी न लगता है मन॥ कौन परदेशिया लूट सब कुछ गया, इस अभागिन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।