कुछ आशाओं,कुछ सपनों को संजोते ये खिलखिलाते बच्चे, कभी जानी-पहचानी तो कभी अनजानी राहों पर उन्मुक्त हो, दौड़ते ये खिलखिलाते बच्चे। न ईर्ष्या,न द्वेष इन्हें किसी से, प्यार से दिल जीतते ये खिलखिलाते बच्चे। पर न जाने किस बोझ तले अंधेरी गलियों में गुम होते, चमचमाते खिलौनों से खेलते,अपने प्यारे […]
Uncategorized
चिंतनो में..स्वार्थ की अब..चढ़ गई हैं अर्गलाएं। और..भावों के..भवन में,वंदिता हैं मेनकाएं॥ हो गई..हमसे विसर्जित,भरत की संतृप्ता। भ्रमित कैकेयी-सी..मन की,रह गई अतृप्ता॥ क्यों न हो..जब..हर महल में,पल रही हैं मंथराएं। आैर..भावों के..भवन में,वंदिता हैं मेनकाएं॥ भेदने आतुर हुई फिर,वर्जनाएं-वाचिका को। स्वर्ण मृग फिर छल रहा है,सीय की मरीचिका को॥ पंचवटियों […]