इंसान का ज़मीर गिर जाए तो,कोई शिखर कभी काम नहीं आता। मौत हकीकत है इसे मिटाने में,कोई हुनर कभी काम नहीं आता॥ अनगिनत अरमानों की कशमकश को, ता-उम्र ढोता आया हूँ। खुशियों के काफिलों के लिए ता-उम्र रोता आया हूँ॥ मंजिल का ठिकाना नहीं तो,कोई सफर कभी काम नहीं आता। […]
आया बसंत,आया बसंत, देखो,सबको भाया बसंत गेंदा,गुलाब,मोगरा,चमेली, सब फैलाएँ मिल अपनी सुगंध आया बसंत,आया बसंत। कलिकाओं ने घूंघट खोले, फूल चुपके-चुपके बोले देखो ज़रा दिग् दिगन्त, आया बसंत,आया बसंत। सुरभित कितना नव बसंत, कुसुमित कितना नव बसंत रहे यूँ ही यह जीवन पर्यन्त, आया बसंत,आया बसंत। दिग्भ्रमित कोई भी […]