रात-दिन के मेल से तिथियाँ बदल गई, हम खड़े ही रह गए वीथियाँ बदल गई। कागजों में लिख रहे देश इक नया यहां, संविधान चुप रहा,नीतियाँ बदल गई। कैसे जान पाता हाल उनका मैं कहो भला, डाकिया वही रहा,चिठ्ठियाँ बदल गई। ज़िन्दगी में मौसमों ने ली हैं ऐसी करवटें, डालियाँ […]

बिस्मिल-सुभाष जैसे वीर नहीं पास आज, भगत की कुर्बानी को याद करना चाहिए। मातृभूमि को आजाद करवाने में दी जान, उनकी निशानी को याद करना चाहिए। सभी दिशाएं गूंजी थी उनके जय गानों से, गोरों की कहानी को याद करना चाहिए। जय गान करती है दुनिया शहीदों का ही, उनकी […]

चिरागां आंधियों में जल रहा है, चलो कुछ तो अंधेरा ढल रहा है। सुदिन है चांडालों तस्करों का, शरीफों का बुरा दिन चल रहा है। अगर हम खा रहे हैं एक में ही, हमारा घर तुम्हें क्यों खल रहा है। शनिश्चर आ गया है अब वहां भी, अभी कल तक […]

अजनबी पर कभी एतबार मत करना। दिल को कभी यूँ बेकरार मत करना॥ दिल्लगी के लिए इजहार मत करना। दिल दुखाने का विचार मत करना॥ स्वार्थ के लिए कभी प्यार मत करना। दिल को कभी तार-तार मत करना॥ दिल साफ न हो करार मत करना। दोस्त बनकर कभी वार मत […]

फिर परिहास हुआ देखो,इस भारत की माटी में। गिरगिटों ने रंग बदले,क्या फिर उसी परिपाटी में॥ झंडे के रंगों ने क्या फिर,अपनी फ़िज़ा बिगाड़ी है ? या इसके पीछे भी साजिश,अब कोई लगती भारी  है ? ? बाप से ज्यादा पड़ोसी अब,हमको प्यारा दिखता है ? तिरंगे में भी अब […]

मेरी गुरु जिंदगी, उसी ने सिखाया मौन की कीमत, शब्द की सीरत उसी ने दिखाया, अंतर का भाव बाहर का भराव, उसी ने समझाया अपना कौन ? पराया कौन ? उसी ने चुने अंधेरे भी, उजाले भी और मैंने, एक आज्ञाकारी शिष्या बन मानी हर सीख। मुझे माँजा उसी ने, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।