शिक्षण है कर्म मेरा,सुअनील बहाता हूँ। कर्म में हम रत रहें,यही ध्यान लगाता हूँ॥ गाँव बम्बू में जन्म लेकर, शिक्षा यही पाई है। शिक्षा पाकर बड़ा बन बेटा,ये दुनिया पराई है॥ दुनिया पराई है तभी,अपनी जानकर अपनाई है। सबको जीवन दिया माँ ने,कहते ईश्वर ने दुनिया बनाई है॥ मातृ रज़ […]

कितनी कलियों को जगाया मैंने, कितनी आत्माएँ परश कीं चुपके; प्रकाश कितने प्राण छितराए, वायु ने कितने प्राण मिलवाए। कितने नैपथ्य निहारे मैंने, गुनगुनाए हिये लखे कितने; निखारी बादलों छटा कितनी, घुमाए फिराए यान कितने। रहा जीवन प्रत्येक परतों पर, छिपा चिपका समाया अवनी उर; नियंत्रित नियंता के हाथों में, […]

जो सत्य की राह पर चलते हैं, उसूलों की चासनी में पकते हैं झूठ से कभी नहीं जो डरते हैं, वही तो राजा हरिश्चंद्र बनते हैं। जो परमात्मा को सर्वस्व मानते हैं, परमात्म राह को अपनाते हैं परमात्म मत पर ही चलते हैं, वही परमात्म सुख भी पाते हैं। काश! […]

पूर्व से निकला है सूरज,अँधियारा भी भाग गया। हम को भी अब जगना होगा,सारा जग तो जाग गया॥ –––––––––– –– नहीं थके हैं, नहीं उठें हैं,राहे क्यों अनजान, मंजिल हमें पुकार रही है,बैठे क्यों नादान हैं। आगे अपने कदम बढ़ाओ,डर था जो भी भाग गया॥ ––––-–––––––- फैली कुरीतियां हममें,फैले अन्धविश्वास […]

कहावत है बेगानी शादी में अब्दुल्ला दिवाना, इश्क की शमा में सदा जलता है परवाना। आदत से मजबूर ये दो भले ही किरदार हैं, अंदाज मजाकिया लेकिन बात वजनदार है। अपनी खुशी मे खुश हुए तो क्या खुश हुए, अपने गम मे अगर गमगीन हुए तो क्या हुए। मजा तो […]

जिंदगी कभी-कभी, बेमानी-सी लगती है। टूटे हुए दरख्त की, कहानी-सी लगती है। तन्हाई की रात़ों में, जिन्होंने दिया साथ। आज वे भी कर रहे हैं, अपने पीछे हाथ रोशनी की किरण भी, अंधियारी-सी लगती है। शाखों पे खिले थे, अनगिनत फूल। हवा चली ऐसी, मिल गए सब धूल। यादों की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।