हमको भी अब जगना होगा

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budhhi prakash
पूर्व से निकला है सूरज,अँधियारा भी भाग गया।
हम को भी अब जगना होगा,सारा जग तो जाग गया॥
–––––––––– ––
नहीं थके हैं, नहीं उठें हैं,राहे क्यों अनजान,
मंजिल हमें पुकार रही है,बैठे क्यों नादान हैं।
आगे अपने कदम बढ़ाओ,डर था जो भी भाग गया॥
––––-–––––––-
फैली कुरीतियां हममें,फैले अन्धविश्वास हैं,
अपनी आँखें खोलकर देखो,क्या हमारे पास है।
ज्ञान की किरणें जली जहाँ पर,अज्ञान वहाँ से भाग गया॥
––––––––––––
मत भूलो झलकारी बाई,मत भूलो तानाजी को,
हममें गौतम बुद्ध हुए,मत भूलो मावर जी को।
गौरव का इतिहास रहा है,हीन भाव अब भाग गया॥
हम को भी अब जगना होगा,सारा जग तो जाग गया।

#बुद्धि प्रकाश महावर ‘मन’

परिचय : बुद्धि प्रकाश महावर का साहित्यिक उपनाम-मन है। आपकी जन्म तिथि-३ जुलाई १९७६ है। वर्तमान में-जिला दौसा (राजस्थान) के ग्राम मलारना में रहते हैं। शिक्षा- एम.ए.(हिंदी) तथा बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में अध्यापक हैं। सामाज़िक क्षेत्र में-सामाजिक सुधार कार्यों,बेटी बचाओ जैसे काम में सक्रिय रहते हैं। आप लेखन विधा में कविता,कहानी,लघुकथा, ग़ज़ल,गीत,बाल गीत आदि रचते हैं। प्रकाशन में ‘हौंसलों के पंखों से'(काव्य संग्रह) तथा ‘कनिका'( कहानी संग्रह)आ चुका है।  उपलब्धि-सम्मान के तौर पर बाल मुकुंद गुप्त साहित्यिक सम्मान-२०१७, राष्ट्रीय चौपाल साहित्यिक सम्मान-२०१७ और राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था द्वारा ‘तोषमणि’ अलंकरण मिलना है। आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-सामाजिक एवं राष्ट्रीय जागृति,आत्मखुशी और व्यक्तिगत पहचान बनाना है।

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