शांत चित्त ताल के पानी पर, तिनके के व्यवधान से उत्पन्न, मंद पवन के उन्वान से व्युत्पन्न, मदिर मदिर सरकती नौका के, हौले हौले उत्पात से जनित, किनारों को ढूंढती नन्ही नन्ही लहरों का, उद्वेलनाओं का बहाव है कविता…….. चंचल हिरणी सी दौड़ती, तड़ित दामिनी सी कौंधती, कलकल करती दरिया […]