मैं सब जानता हूँ तुम्हारी बदमाशियाँ तुम्हारे हुश्न की कहर ढाती अठखेलियाँ ज़ुल्फ़ है कि गहरा सा कोई तिलिस्म या हैं किसी जादूगरनी की पहेलियाँ मेरी कहाँ सुनती ही हैं अब ये फ़िज़ाएं हवा,बादल,चाँद सब तुम्हारी सहेलियाँ मैं दीवाना न हो जाऊँ तो क्या करूँ श्रृंगार तेरा ऐसा कि हो […]