जी लिया मैं बहुत दुनिया के लिए, अब अपने लिए जीना चाहता हूं । ऐ  जिंदगी चल दूर बहुत दूर कहीं, अब  मैं गुमशुदा होना चाहता हूं । देखी मोहब्बतें, नफरते रिश्तों की, देखी दुनिया की दुनियादारी भी । देखी मतलबी, फरेबी जालसाजी, देखी यारी ईमान और खुद्दारी भी। उलझी […]

संसार के कोलाहल से दूर बहुत दूर समंदर की लहरों पे बहता रवानगी की कहानी कहता बादलों की पीठ पर बैठ कर अपनी ही धुन में रहता है मेरा मन जो व्याकुलता का पर्याय नहीं है उद्विग्न मस्तिष्क का कोई राय नहीं है वो अभी भी सद्यस्नाता की भाँति सुकोमल […]

पूजित था जीवन में ,मानव का प्रेम जहाँ , भक्ति ,प्रेम ,सेवा के वाहक कबीर थे . गाँधी की मानवता सत्य और अहिंसा थी , सहज पथ प्रदर्शक थे ,लाखों की भीड़ में , दोनों ही संत पुरुष ,युग द्रष्टा कहलाये , जीवन उत्सर्ग किया जन पीर में।. ‘विचलित है […]

बेटियों को समर्पित एक रचना(एक प्रयास) एक पिता अपनी बेटी का मार्गदर्शन करता है— कूद पड़ दुनिया की दरिया में तू , मत सोच क्या-क्या करना होगा । निकलेगी तू खुद को तरास कर , लहरों की थपेड़ों को भी तुझे सहना होगा ।। 1 ।। फत्तियाँ कसने दे कुछ […]

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को मैं बधाई दिए बिना नहीं रह सकता। अब वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का नाम बदलकर उच्च शिक्षा आयोग कर रहे हैं। इसका नाम ही नहीं बदलेगा, अब इसका काम भी बदलेगा। जहां तक नाम बदलने का सवाल है, मानव संसाधन मंत्रालय का नाम […]

  कबीरा खड़ा बाजार मे मांगे सबकी खैर न भाजपा से दोस्ती न कांग्रेस से बैर कबीर जो समाज सुधारक रहे कट्टरपंथियो को फटकारते रहे हिन्दू मुस्लिम दोनो के है प्यारे आज भी है वे दिल के तारे मगर राजनीति डायन हो गई मगहर पर ही राजनीति हो गई कबीर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।