मोती ये पलकों से गिरा ही दे अश्क दो-चार अब बहा ही दे ==================== दे नहीं सकता गर ईनाम मुझे कम से कम थोड़ी सी सज़ा ही दे ==================== दिल घबराता है अँधेरे से चिराग आस का जला ही दे ==================== हाल तो पूछने आ जा मेरा न दे […]

बुरा जो देखन चले हम स्वयं बुरा हो जाये मन मे बुरे विचारो से संस्कार दूषित हो जाये मन की हालत खराब न हो देखो अच्छाई तुम सबकी जो सद्गुण मिले किसी से ग्रहण करों तुम उनसे अच्छा सोचो ,अच्छा बोलो अच्छे तुम बन जाओगे नही रहेगी बीमारी कोई सबके […]

या रब….! किस्सा सच्चा है क्या जीवन एक खिलौना है क्या…!! नील गगन की……., सैर करा दे ऐसा कोई…., चारा है क्या….!! पूछ रही….., मन की अभिलाषा तारा कोई…., टूटा है क्या…..!! दरवाज़े पर…., दस्तक़ कैसी….? देखो अल्हड़ पुरवा है क्या…..!! झूठ दिखाई…, देता जो सच….! इन आँखों पर पर्दा […]

  हम न होंगे इस जहांन में जब, तुम याद करोगे बीते वो पल अश्रु बन छलकेंगे तब हम यादें बन दिल में धड़केंगे। लिखदी हैं जो चंद तहरीरें अमर यही हो जायेंगी तुम तो याद करोगे हमको गैर भी भूल न पायेंगे। #डॉ लक्ष्मी कुशवाह परिचय लेखिका का नाम […]

रमेश और विनय दोनों ही अच्छे दोस्ते थे । उनमें बहुत परम था दोस्ती भी इतनी गहरी की आँख बंद कर दोनों एक दूसरे पर विश्वाश किया करते थे ………. एक दिन रमेश अपनी बेटी को लेने स्कूल गए । परी को स्कूल से लिया रास्ते में ही विनय का […]

क्यों सहती हो बार-बार, अनाचार, अत्याचार, उठा लो हाथ तलवार, न बनो अब ढाल तुम। समाज में कुकर्मी हो, चाहे सहकर्मी हो अधर्मी या विधर्मी हो, उनका हो काल तुम। तजो साज-सिंगार को, धरो हाथ अंगार को, व्यभिचारी के संहार को, रूप धरो विकराल तुम। जो उठने लगे भुजंग, हो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।