बहाकर खूब पसीना अब,    भाग्य ख़ुद लिखना होगा । अपने मज़बूत इरादों से ही,      इस रण में टिकना होगा ।।  चुपचाप बैठकर ऐसे ही,      परिश्रम भी करना होगा ।   अपने हाथों से खुद अपनी,     तक़दीर को लिखना होगा।।  भाग्य तेरा मोहताज नहीं […]

सितारे साथ होते तो सोचो क्या दिशा होती सभी विपरीत ग्रह बैठे मगर मैं फिर भी जिन्दा हूँ। पटका आसमां से हूँ जमीं ने मुझको झेला है मिली है जो रियासत भी नहीं,खुद से शर्मिन्दा हूँ। न भाई बहन मिलते है न सगे सम्बन्धी मेरे तो न पुख्ता नीड़ बन […]

मुझे अकेला मत छोड़ना ना प्रिये । कहाँ जाऊँगा मैं तुम बिन प्रिये ।। बैठूँ मैं तेरे काँधे पर सर रखकर प्रिये । कहाँ मिलेगा ऐसा आराम मुझे तुम बिन प्रिये ।। हाथों में हाथ सदा ऐसे ही थामे रखना प्रिये । नहीं तो रास्ता भटकना तह हैं तुम बिन […]

नीले चादर तले हरियाली है छाई , देखो बूंदे भी घर से बाहर हो आई , बूंदे बहती गयी हवाओं तले , सूरज जी भी बादल में छिप बोले , ये कैसा जुनुन छाया है , मोर भी नाचने को आया है , आसमाँ के कोरे कागज पर , क्यों […]

आज विधि के लिखे का साथी, रेवा का वो पूत चला, सौन्दर्य बहा कर नर्मदा का अमृत वर्षा कर सुत चला जिसने जीवन किया समर्पित अंचल का वह दूत चला नर्मदा के गायन में बसता साहित्य सारथी अश्रुत चला बहे जहाँ सरिता काव्य की ऐसा वह लाड़ला सपूत चला जबलपुर […]

ना जाने कौन सा रस्ता तलाश      करता हूं कि अब तो मैं भी तुम्ही;सा तलाश करता हूं हमारे जिस्म के हिस्से में गड़ गया था   जो मैं आज तक वही शीशा तलाश करता    हूं वो एक शख्स जिसे देखने   का आदि   था मैं आज तक वही चेहरा तलाश   करता हूं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।