लाचारी

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punam katariyar

संसद की गरिमा
आज इतनी लाचार है
उसके ही नुमांइदे करते
आज उसका बलात्कार है।
गूंजती थी कभी जहां,
 पुरोधाओं की गंभीर -वाणियां.
आज है वहां केवल,
 कर्ण- कटु-भद्दी गालियां।
खेल-घर है , खेलते सब,
 जाति- धर्म के कार्ड से.
गरीब- दलित-आरक्षण की,
 होती बहुत कबड्डियां।
सर्वोच्च -पद भी अब,
 सहमी- सकुची ‘जड़’  है,
जाने कौन पड़ गले,
इज्जत कर दे तार तार।
फेंकते छिछोरे सरेआम,
चवन्नियां- मुस्कान हैं.
शर्म से पानी- पानी,
 राष्ट्र का अभिमान है।
बढ़ गई है देश में ,
इस कदर छेड़खानियां,
 संसद को भी लोग अब तो
 मारते  हैं  कनखियां ।
#पूनम( कतरियार)
नाम-   पूनम (कतरियार)
जन्म-स्थान :हजारीबाग(झारखंड)
शिक्षा–   एम.ए.(हिन्दी साहित्य)
संप्रति  –  लेखन
पता   –   पटना(बिहार)

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