“बापू का भात”

0 0
Read Time2 Minute, 15 Second

nayana aarti

जग्गु अचानक ठोकर खा कर गिरा था या खाली पेट चक्कर खा कर पता नहीं पर सब दौडकर उठाते तब तक उसकी साँसे पुरी हो चुकी थी।

मैयत से आकर दो घड़ी को उसके पास बैठे सभी अपने-अपने काम पर निकल गये थे।  जिवल्या तो शायद कुछ  ठीक से समझ भी ना पाया था । वो बाहर खेलता रहा।

“अम्मा! अम्मा! उठ ना कब तक यही बैठी रहेगी। बहुत जोरों की भूख लगी हैं.” जिवल्या साड़ी का पल्लू खींचकर उसे उठाने की कोशिश कर रहा था।

वो तिरपाल और फूस से अस्थायी बनी झोंपड़ी के एक कोने मे चुपचाप अपने बढे हुए पेट पर हाथ धरे आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठी थी।  अभी कुछ दिन पहले ही तो आए थे यहाँ रोटी की जुगाड में. वो सात माह की पेट से थी. गाँव में तो भूखे मर जाते तो इस हालत मे भी जग्या  लिवा लाया था.

“अम्मा! देख तो सही,  सुगना मौसी, कानी ताई, कम्मो फुआ सब लोग कितना सारा भात  और चटनी ..रख के गये है। वो उसे उठने की बार-बार गुहार लगा रहा था।

पेट को सम्हालते वो हौले से उठी और  थाली मे भात परोस कर खिलाने लगी।

“माई तू भी खाले। पता नहीं कल मिले ना मिले।”

” क्यों ऐसा क्यो कह रहा” उसे सीने से लगाते उसके आँसू झरझर बहने लगे।

“कल थोडे ना कोई लाकर देगा। वो फुआ कह रही थी आज तेरा बाप मरा है ना तो तेरे घर चुल्हा नही जलेगा। इस वास्ते भात रख के गई है वो।”

“तो क्या कल…”

“अब हमारे पास बापू कहाँ है मरने के लिए।”

#नयना(आरती) कानिटकर

शिक्षा:- एम.एस.सी,  एल.एल.बी

संप्रति:- पति के चार्टड अकाउँटंट फ़र्म मे पूर्ण कालावधी सहयोग

रुची:- हर वो रचनात्मक कार्य जो मन को सूकून दे.

पठन, पाठन, गायन, सिलाई-कढाई आदी

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कलमकार

Tue Jul 24 , 2018
हम शब्दों की दीपशिखा हैं हम भावों की जलती मशाल हम वीणापाणी के वरद पुत्र हम चेतनता की लपट ज्वाल हमने अपने शब्दों से सदा साहस को परिभाषा दी है टूटे दिल को ढ़ाढस  देकर जीने की नव आशा दी है धरती को माता मान सदा हमने  कीर्ति का गान  […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।