आँगन में दीवार न करना रिश्तों को अखबार न करना वाणी मधुर तरल रहने दो शब्दों को तलवार न करना मन मरुथल जैसे हो जिनके उनसे तुम मनुहार न करना अभी अभी मन को समझाया फिर पायल झंकार न करना दिल के मीठे लब्ज पढ़ें थे कटुता का व्यवहार न […]
वीणावादिनी ज्ञान दायिनी ज्ञानवान कर दे…. माँ रूपसौभग्यदायिनी नव रुप भर दे…. हंसवाहिनी श्वेतांबरी जग उज्ज्वल कर दे….. वीणापाणिनि शब्ददायिनी शब्दों से भर दे…. ज्योतिर्मय जीवन तरंगमय जीवन सभी जन प्रकाशयुक्त सभी जन ज्ञानयुक्त अज्ञान निशा को जीवों से दूर कर दे….. सत्य पथ सत्यमय वीणा के तारों से विद्या-विनयमय […]