ऑफिस की खिड़की से जब देखा मैने मौसम की पहली बरसात को काले बादल के गरज पे नाचती बूंदों की बारात को …. तब – एक बच्चा मुझ में से निकलकर भागा था , भींगने बाहर …. रोका बड़प्पन ने मेरे , उसे …! बारिश और मेरे बचपने के बीच […]
बालक को गृहदीपक या कुलदीपक बनाना हो तो उसकी इच्छानुसार चलने नहीं देना। दीपक अर्थात् प्रकाश करने वाला, किन्तु जलाने वाला नहीं। कुलदीपक अर्थात् कुल को प्रकाशित करने वाला, किन्तु कुल को जलाने वाला नहीं! इसलिए बालक में सुसंस्कार डालो। अमुक धर्म-क्रिया तो करनी ही चाहिए, ऐसी आज्ञा भी करो। धर्म की आज्ञाओं […]
