बच्चों मानव अंगों में छिपे हैं, ज्यामितीय आकृति के राज। कान लगे जैसै  हो अर्धवृत्त, बिंदु जैसी बनी प्यारी आंख॥ त्रिभुज  जैसी  बनी है  नाक, वक्र  रेखा-सी  लगे पलक। वृत्त जैसा लगे हमारा चेहरा, शंकु जैसे लगे सिर के बाल॥ रेखाखंड  जैसे  लगे  पैर, समानांतर चतुर्भुज हाथ। आयत-सी  बनी काया, […]

कितनी कलियों को जगाया मैंने, कितनी आत्माएँ परश कीं चुपके; प्रकाश कितने प्राण छितराए, वायु ने कितने प्राण मिलवाए। कितने नैपथ्य निहारे मैंने, गुनगुनाए हिये लखे कितने; निखारी बादलों छटा कितनी, घुमाए फिराए यान कितने। रहा जीवन प्रत्येक परतों पर, छिपा चिपका समाया अवनी उर; नियंत्रित नियंता के हाथों में, […]

जो सत्य की राह पर चलते हैं, उसूलों की चासनी में पकते हैं झूठ से कभी नहीं जो डरते हैं, वही तो राजा हरिश्चंद्र बनते हैं। जो परमात्मा को सर्वस्व मानते हैं, परमात्म राह को अपनाते हैं परमात्म मत पर ही चलते हैं, वही परमात्म सुख भी पाते हैं। काश! […]

लोकतन्त्र का हो गया यह तो अजब-सा खेल, भूख से किसान बेहाल है अमीर बन रहे धनकुबेर, सौ धनाढ्यों ने कब्जा ली दो तिहाई धन सम्पत्ति, गरीब महंगाई से आहत है पेट पर बांध रहा है पट्टी, सामाजिक असमानता का यह तो हो गया नंगा नाच, अमीर ओर अमीर हो […]

जय-जय हो भारत राष्ट्र की, जय-जय हो हिंदुस्तान की। जय  जवान-जय किसान, जय-जय हो विज्ञान  की॥ स्वागत-वंदन-अभिनंदन है, जयकार हमारे गणराज की। हर्षित है जन-मन चहुँओर, गणतंत्र शान है हिंदुस्तान की॥ जय हो छब्बीस जनवरी की, जय हो राष्ट्रीय पर्व के गर्व की। तिरंगे की खातिर लगा दे जहां, सपूत […]

(गणतन्त्र दिवस विशेष) सच कहता हूँ कमी बहुत है, व्यवस्था में बहुत चूक है राजनीति में ईमानदारी नहीं, यह तो पूरा गणतन्त्र नहीं। देश का जन भी सुरक्षित नहीं, रुकती कभी घुसपैठ नहीं देश के लिए खतरा जो बने हैं, उन पर लगती पाबन्दी नहीं। आमजन चुनाव नहीं लड़ सकता, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।