तीसरा कोई नहीं है एक तू है और मैं हूँ, हे प्रिये, मैं प्रीति की पावन कहानी लिख चुका हूँ। अब कहाँ जाऊँ अधूरी दासताँ को साथ लेकर, ज़ान मेरी नाम तेरे ज़िंदगानी लिख चुका हूँ।। आरजू है तू ही मेरी, तू ही तो लख़्ते जिगर है, आज फिर क्यूँ […]
काव्यभाषा
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