शब्द समुच्चय मात्र नहीं है संकल्प है एक जो दुहराता है अपनी प्रतिबद्धता को जिसने की है कोशिश चीरने की निसीथ अंधकार को स्व अस्तित्व की लौ से.. वह तुम्हें सीमाओं में बांध रहा था रखा वरदहस्त उसने सतीत्व के रक्षार्थ किया अलंकृत विभिन्न उपमाओं से हाथ बढ़े और बढ़े […]