देख लहू श्र्द्धालुओं का, मन क्यों मेरा डोल उठा। देख दशा कश्मीर की, रोम-रोम मेरा आज रो उठा॥ इस पाकिस्तानी हरकत पर, इस ! इस ! इस ! पाकिस्तानी हरकत पर, खून मेरा आज खोल उठा॥ अब चाहे जो हो, अब तो कर्ज चुकाना है। आईना आतंक-ए-पाकिस्तान, को दिखाना है॥ […]

सावन का पहला सोमवार, जब घर-घर,हर-हर भोला है। आतंकियों ने अमरनाथ में, फिर से हमला बोला है॥ पाक परस्तों ने फिर आज, दुखती नब्ज़ को टटोला है। आतंकियों ने अमरनाथ में, फिर से हमला बोला है॥ हम बैठे हैं,बनकर भोले, उसने ताकत को तौला है। आतंकियों ने अमरनाथ में, फिर से हमला […]

ढल गया चाँद रात को लेकर, नींद न आई किसी बात को लेकर। कई सवाल लड़ते रहे यूँ आपस में, हम चले आए अपने जज्बात को लेकर। कसकर मुठ्ठी में कुछ ख्वाब छिपाए थे, बैठे रहे रात भर डरे हाथ को लेकर। हँसी चेहरे पर रखो भले ही झूठी हो, […]

बारिश में भी अगर कोई प्यासा दिखाई दे, फिर दूर-दूर तक भी न आशा दिखाई दे…। दिल टूट जाए जिसका वो सावन का क्या करे, उसको तो हर तरफ ही निराशा दिखाई दे…। हमने अगर कहा के जख्मी हो गया जिगर, ये बात भी तो सबको तमाशा दिखाई दे…। दुनिया […]

आज अपना वतन ही बेगाना हुआ, हक़ की खातिर लड़े तो हर्जाना हुआ। नाक नीचे से मुजरिम गुज़र चल गया, घर निरपराध का ही निशाना हुआ। पाक सदियों से जो था सदन अब तलक, आज पाखंडियों का ठिकाना हुआ। मेरे व्रण पर लवण नित छिड़कते रहे, उफ़ ज़रा कर दिया […]

दया नहीं हमें चाहिए, नहीं चर्चा दलों में चाहिए। देश को दिव्यांग बनाने वालों से वैशाखी हमें नहीं चाहिए ll छप्पन का सीना हम भी रखते हैं, हाथ के बल भी चल सकते हैं। किसी सहारे की जरुरत हमें नहीं है निजबल से ही यात्रा कर सकते हैं॥ विकलांग वित्त […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।