गहरी पीर भरी हो मन में, अधरों पर फिर भी मुस्कान। भाव-कर्मपथ को सम्यक कर, छेड़ो  सस्वर तुम मधु गान॥ श्वेत-श्याम रंग जीवन के, कभी कुलिश कभी लिए सुगन्ध। सुख-दुख गति-ठहराव मध्य है, जीवन का स्वर्णिम  अनुबन्ध ॥ जब तक साँस,आस है तब तक, चले कर्मपथ को पहचान। सब कुछ […]

  स्वतंत्रता भली लगती है, जब उन्मुक्त स्वयं को पाएं पर हम बंधनहीन नहीं हैं, समय के समीचीन नहीं हैं भले ही पराधीन नहीं हैं, फिर भी हम स्वाधीन नहीं हैं। दफ्तर में अधिकारी का दबका, सच सदा ही लगता कड़वा सच पर हर पल झूठ का पहरा, देश पर […]

दिमाग के किसी उर्वर भाग में वह फूटा था ठीक जैसे फूटता है दाना जमीन को फोड़कर। ठीक वैसा ही स्वागत किया था मैंने उस नवजात का जैसे करता है किसान निहारता बढ़ता पहला कदम दानों का फसलों की ओर। उसी तरह बढ़ाने लगा था पींगें मेरा मन भी जैसे […]

ये मत समझ लेना कि, कंस और कारावास सिर्फ  वहीं  है जहाँ कृष्ण  है। सच  तो यह है कि, कंस और कारावास के बिना अधूरा हर प्रश्न है। जब मरती है एक के बाद एक सात संतानें, तब आठवें नम्बर पर जन्म पाता है कृष्ण। ठीक वैसे ही जैसे, जब […]

दीनों इमां के वास्ते लाई गई ग़ज़ल, लैला के इश्क़ में भी डुबाई गई ग़ज़ल। वादों से जब अवाम का था पेट न भरा, रोटी के लिए खूँ से लिखाई गई ग़ज़ल। मादरे वतन पे जब भी आंच आई तो, गंगो जमन की राग में गाई गई ग़ज़ल। इंसानियत का […]

कंचन जैसे शब्दों का जब, सुख संयोजन होता है, मंगलभाव भरे हों जिसमें, पुण्य प्रयोजन होता है। अंतस का नेह अगर हमें जो, नयनों में दिख जाए तो, ऐसे सफल प्रयासों से, श्रृंगार गीत का होता है॥ दीन-हीन की पीड़ा के जब, अश्क नयन में आते हैं, देख बिलखते बच्चों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।