पीना जिसने सीख लिया है, उसने जग को जीत लिया है॥ नाला,नाली और सड़कों पर, लुटना-पिटना शुरू किया है॥ छोडो़ भी ऐसी आदत को, क्यों इज्जत का खून पिया है॥ घर की बरबादी का कारण, जिसने इसको समझ लिया है॥ उस इंसा ने सारे जग पर, सदा निडर हो राज […]
काव्यभाषा
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